Home गाँव जेवार सुशासन बाबू बताईए- दोषी कौन? कुशासन या किसान?

सुशासन बाबू बताईए- दोषी कौन? कुशासन या किसान?

0
वेशक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बिहार और बिहारियो को गौरर्वान्वित करने के जी-तोड प्रयास व उनके नेकइरादे पर फिलहाल सीधी उंगली नही उठाई जा सकती.खासकर नालन्दा को वे और भी प्रतिष्ठित बनाना चाहते है….

इसपर भी तत्काल छींटाकशी करना बेईमानी ही होगी.लेकिन आजकल समुचे देश मे सुशासन बाबू के नाम से बहुचर्चित श्री कुमार के घर-जिले मे सर्वत्र जो कुछ नजारा दिख रहा है,वे प्रमाणित करते है कि उनके मातहत शासन-व्यवस्था संभाल रहे शीर्ष अधिकारी लोग भविष्य का बेडागर्क करने का पूरा मन बना लिये है और यही हाल रहा तो निश्चित तौर पर यहाँ के कुशासान का ठीकरा मुख्यमंत्री के सिर पर ही फूटेगा.आखिर पुनः लौट न आये लालू का भूत का भय दिखाकर कब तक सुशासन की नाव खेते रहेगे.

करीव एक सप्ताह पूर्व नालंदा जिले के नगरनौसा अंचल के एन.एच.30ए पर अवस्थित रामघाट बोधीबिगहा से रामपुर गांव तक प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक योजना के तहत बनाई जा रही मार्ग के निर्माण के दौरान एक दबंग ठेकेदार द्वारा मनमानी-लूटखसोट करने की शिकायत जिला-प्रशासन के शीर्ष अधिकारियो बीडीओसे जिलाधिकारी तक से की गई,लेकिन उनके कान मे जूँ तक न रेंगा.

 

यह वगैर राजस्व अधिकारी के स्वीक्रिति के ठेकेदार पटवन, कब्रिस्तान तक को भर ही रहा है,जेसीबी मशीन द्वारा एक अधिकारी की तरह रिश्व्त लेकर कमजोर किसानो की रैयती जमीन पर भी सडक बना रहा है.

 

शिकायत के बाद जहानाबाद का रहनेवाला संबधित ठेकेदार ने अपनी मनमानी और भी बढा दी. इसके बाद सारे मामले की शिकायत फैक्स व ईमेल द्वारा सीधे मुख्यमंत्री से की गई.लेकिन लोगों मे घोर आश्चर्य और निराशा का भाव दिख रहा है, क्योंकि उनके स्तर से भी कोई कार्रवाई नही की जा रही है.

 

इस मामले मे आम ग्रामीण लालूजीको ही बेहतर बताते है और कहते है कि कम से कम उनका अपने अधिकारियो पर पूर्ण नियंत्रण था और आम ग्रामीणो की शिकायतो को वे गंभीरता से लेते थे.

एक ताजा मिली शिकायत का आंकलन करने पर समझ मे नही आता है कि दोषी कौन है.सुशासन बाबू का कुशासन या किसान? नालन्दा जिले के चंडी थानांतर्गत थरथरी प्रखंड के मकुनन्दबिगहा गांव निवासी एक किसान परिवार की कहानी अन्धेर नगरी-चौपट राजा की याद ताजा कर देती है.
कहानी चार गरीव किसान भाईयो की है.जो बाढ राहत मुआवजा प्रक्रिया की सही जानकारी न होने के कारण जमीन की एक ही जमाबन्दी रशीद पर अलग-अलग 1800रू.राशि भुगतान पा ली.
यह मामला जब प्रकाश मे आया तो प्रखंड विकास पदाधिकारी ने चारो किसान भाईयो के विरूद्ध थाना मे मामला दर्ज करा दिया.
अब थाना का एक छोटा बाबू उससे बतौर नजराना प्रति भाई 5000रू.. यानि 20000रू. मांग रहा है. जबकि420 का दोषी यदि यदि इन किसान भाईयो को मान लिया भी जाय तो इन लोगो से कहीं अधिक गुनाहगार पंचायतसेवक, मुखिया, ग्रामसेवक, अंचलनिरीक्षक से लेकर खुद मुकदमा करने वाले प्रखंड विकास पदाधिकारी ही है.क्योंकि किसी भी किसान को आपदा संबन्धी मुआवजा इन सबो के गहन जांच-पडताल के वगैर नही मिलती.
भादवि के तहत चंडी थाना मे दर्ज इन लोगों को पाक-साफ रखा गया है.इस प्रकरण का रोचक पहलू है कि पीडित चारो भाईयो मे एक राजकुमार नामक भाई ने सुचनाधिकार के तहत प्रखंड कार्यालय संबधी सूचना पाकर प्रखंड विकास पदाधिकारी के विरूद्ध लाखो रू.के एक बडे कागजी डीजल घोटाले का पर्दाफाश किया था.
समाचार-पत्रो की सुर्खिया बने इस प्रकरण मे अब तक कोई कार्रवाई नही की गई है,जबकि बदले की कार्रवाई स्वरूप दर्ज मुकदमा मे चारो किसान भाईयो को दबोचने के लिये पुलिस खाक खाक छानती फिर रही है.
राजगीर बबुनी कांड : उपर वाले के घर देर है, अंधेर नहीं
 राजगीरः पर्यटक की हुई नृशंस हत्या मामले में 3 धराए

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Content is protected !!
Exit mobile version