एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिले की पुलिस की अपनी कार्यशैली है। उसमें बदलाव की कल्पना या उम्मीद कितनी की जा सकती है, इसका एक बड़ा उदाहरण हैं कि सीधे बाल किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी सह प्रथम श्रेणी न्यायकर्ता मानवेन्द्र मिश्र की लगी बड़ी पाठशाला से भी थानेदार लोग कुछ नहीं सीखे हैं।
जज मिश्रा ने अपनी पाठशाला में सभी थानेदारों को पाठ पढ़ाया था कि नाबालिक बच्चे से बॉड पेपर भरवाना गैर कानूनी है। नाबालिक बच्चे से किसी भी सादे कागज पर साइन नहीं करवा सकते हैं। हवालात में बच्चे को नहीं रख सकते हैं।
अगर कोई नाबालिक किशोर गिरफ्तार होता है तो सबसे पहले बच्चे के अभिभावक से संपर्क कर इसकी जानकारी दी जाए। अगर कोई अभिभावक सामने नहीं आते है तो इस परिस्थति पर थानाप्रभारी को ही अभिभावक बनना होगा।
पकड़े गए किशोर का फोटो प्रकाशित नहीं होना चाहिए। किशोर को आम हाजत में नहीं भेजेंगे। उसे हथकड़ी या जंजीर नहीं पहनायेंगें। न्यायालय में पुलिस वर्दी में आकर आरोपी को प्रस्तुत नहीं करेंगे।
लेकिन कल बिहार थाना की पुलिस ने मोबाइल विवाद के आरोपी दो नाबालिग युवक को बिहार शरीफ व्यवहार न्यायालय में हथकड़ी लगा कर पेश किया गया। दोनों युवक को दिन भर आम हाजत में रखा गया था और वहीं से हथड़ी लगा कर कोर्ट परिसर लाया गया और माननीय न्यायालय में पेश करने के ठीक पहले हथकड़ी खोला गया।
उपलब्ध साक्ष्य के अनुसार एक आरोपी छात्र की उम्र 14 साल और दूसरे आरोपी छात्र की उम्र 15 साल बताई जाती है। हालांकि दोनों छात्रों को माननीय न्यायालय ने पेश होते ही जमानत पर रिहा कर दिया।
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