नगरनौसा (नालन्दा दर्पण)। नगरनौसा प्रखंड क्षेत्र के अनगिनत गांव के चौक, चौराहे, बगानों व बाजारों में सुशासन बाबू के द्वारा नगरनौसा प्रखंड वासियों को सौगात के रूप में दिया गया नीरा आजकल कहीं भी नजर नहीं आती है।
मजबूरन नीरा का दीदार करने वाले आशिक लोग आज कल ताड़ी से हीं अपनी दिली हसरत पूरी कर नीरा नाम की माशूका की यादें भुलाने में मशगूल नजर आ रहे हैं।
वो भी इस उम्मीद के साथ की कभी न कभी तो उनकी नीरा का दर्शन होगा? आज पता चला पियकड़ों के दिल की चाहत। बैशाख का महीना आते ही यह शिलशिला शुरू हो जाता है।
बताते चलें कि कुछ वर्ष पहले बिहार सरकार के द्वारा ताड़ी के उत्पादन पर पूर्णतः रोक लगा दिया गया था और नीरा का उत्पादन करने का आदेश जारी किया गया था। जिसमें कई चौधरियों को इसका लाइसेंस भी निर्गत किया गया था।
लेकिन नीरा का उत्पादन भी अन्य उत्पादनों की तरह ढाक के पात की तरह निकले। जो सिर्फ बिहार सरकार के लिए मजाक बन कर रह गया। लाख ढूंढने पर भी नगरनौसा बाजार व क्षेत्रों में नीरा का स्टॉल कहीं भी नजर नहीं आया।
सवाल उठना है कि आखिर किस आधार पर नीतीश सरकार ने नीरा उत्पादन पर करोड़ों रुपए खर्च किए, जो कहीं नजर ही नहीं आता?
इस बाबत पूछने पर हिलसा एसडीओ वैभव चौधरी ने बताया कि इस मामले को वे अपने स्तर से देखते और दिखवाते हैं।
प्रखंड क्षेत्र में नीरा के न मिलने का सवाल जब नगरनौसा बीडीओ रितेश कुमार ने कहा कि नीरा को मैं कहाँ से लाकर दूं ?
नगरनौसा थानाध्यक्ष कमलेश कुमार के अनुसार इस वक्त वे चुनाव कार्य में व्यस्त हैं। अभी इस मामले में कुछ नहीं कह सकते।