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    Wednesday, April 17, 2024
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      सीडीपीओ की दलील, वाहन बिना पैदल जाए आंगनवाड़ी केंद्र!

      “नालंदा सीएम के गृह जिले नालंदा में आंगनवाड़ी केंद्रों में मासूमों के नेवाला को खा रहे हैं सरकार के नुमाइंदे और बात करने पर तरह-तरह के बहाने बनाने से भी नहीं चुकते….”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (नालंदा ब्यूरो प्रमुख)।  यह हम नहीं कहते बल्कि, यह कहना है  नूरसराय के प्रखंड प्रमुख का निरीक्षण के दौरान बदहाल आंगनवाड़ी केंद्रों की हालत को देखकर बिफर पड़ी  प्रखंड प्रमुख  का।

      उन्होंने कहा कि उन्होंने 10 से 12 केंद्रों का निरीक्षण किया। मगर एक भी केंद्र पर खाना नहीं बन रहा था। सबसे बड़ी बात यह है। कुछ केंद्रों पर दो या तीन बच्चे मिले, जबकि रजिस्टर में 30 से 35 बच्चों का फर्जी तरीके से अटेंडेंस बनाया हुआ था।

      जब सीडीपीओ से इस मामले पूछा गया तो वही कहावत चरितार्थ हो गई,एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी। यानी अपने ऊपर आरोप लगते हुए वह प्रखंड प्रमुख से भिड़ गई।

      नालंदा में सरकारी कर्मी की अफसर शाही का यह आलम है कि वे जनप्रतिनिधियों को बातों को सुनने को तैयार नहीं है। जिसका जीता जागता उदाहरण नूरसराय प्रखंड के पंचायत समिति सदस्यों की बैठक के दौरान देखने को मिला।

      जहाँ प्रखण्ड प्रमुख सहित अन्य सदस्यों ने जब सीडीपीओ सुषमा देवी से आंगनबाड़ी केंद्रों की बदतर स्थिति को लेकर पूछा गया तो मैडम हर बार की तरह विभाग द्वारा वाहन उपलब्ध नही होने का रोना रोते हुए जनप्रतिनिधियों से ही उलझ गयी और प्रमुख को डांटने लगी।

      हंगामा बढ़ता देख बीडीओ ने हस्ताक्षेप करते हुए दोनों को शांत कराया। प्रमुख का आरोप है कि प्रखंड के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल बुरा है। कुछ केंद्रों पर गाय भैस बंधे रहते है तो कुछ केंद्रों पर 1 या 2 बच्चे पढ़ने जाते है। जिसकी नियमित जाँच सीडीपीओ द्वारा नही की जाती है।

      जबकि सीडीपीओ का कहना है कि विभाग द्वारा वाहन उपलब्ध नही किये जाने के कारण वे केन्दों पर नही जा पाती है।

      इस बाबत बीडीओ से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि अगर विभाग द्वारा वाहन उपलब्ध नही कराया गया है तो वे भाड़े की गाड़ी को रख सकती है। मगर वे नहीं ले रही है तो इनके खिलाफ जिलाधिकारी को लिखा जाएगा।

      सुनिए वीडियोः सब समझ में आ जाएगा…………..

       

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