जैव विविधता के संरक्षण के लिए राज्य स्तर पर शिक्षा और जागरुकता कार्यक्रम,समुदाय और युवाओं की भागीदारी, क्षमता निर्माण, महिला समुह को शामिल कर सरकार और समाजिक संस्थाओं के बीच समन्वय आदि भी जलवायु परिवर्तन के जैव विविधता पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करने मे महत्वपुर्ण भूमिका निभा सकते है….
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। नालंदा जिले के इस्लामपुर प्रखंड के बड़ाय गांव स्थित सुगम जागृति कार्यालय के परिसर में सुगम जागृति व अभियान के संयुक्त तत्वाधान में भू-जल स्तर भूमंडलीय तापमान में वृद्धि एंव जलवायु परिवर्तन पर तीन दिनसीय राज्य स्तरीय सेमिनार का आयोजन किया गया।
इस सेमिनार का उद्घाटन समाजसेवी श्रीनिवास शर्मा,जिलापरिषद उपाधयक्ष संगीता देवी, प्रमुख मीना देवी,अजीत कुमार राय,सुरेंद्र कुमार, डा.सैयद अनवर, अरुण दास ने संसुक्त रुप से किया।
इस दौरान समाजसेवी श्रीनिवास शर्मा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन कारण भारत ही नही पुरे विश्व मे पिछले दिनो कई तरह के तुफानों से लोग प्रभावित हो रहे है और तुफान,भुकंप,बाढ़ आदि जैसी घटनाएं घट रही है।
दिल्ली के कार्यक्रम पदाधिकारी अजीत कुमार राय ने कहा कि पूरे विश्व मे पानी की जलस्तर मे गिरावट आ रहा है। लगातार दोहन से भूजल स्तर में कमी आ रही है। हम लोगों को अभी से सजग होना पडेगा।
जिलापरिषद उपाध्यक्षा संगीता देवी ने कहा कि पर्यावरण में तापमान की वृद्धि असमान्य हो गई है। जिसके कारण पृथ्वी पर कही भारी बारिश तो कहीं सुखा,और कहीं लू की स्थिति हो जाती है। समुंद्री 10 से 20 सेंटीमीटर तक जल का स्तर आगे बढ़ने से समुंद्री तुफानो के कारण अब तक 800 सौ करोड से अधिक प्रजातियां लुप्त हो रहा है।
प्राचार्य डा.सैयद अनर ने कहा कि विश्व का एक चौथाई भाग बंजर हो गया है। जंगलो में लगे पेड़ों की कटाई व भूमि के गलत उपयोग से पर्यावरण खतरे में है। जिस चुनौती को कम किया जा सकता है। वशर्ते कि सरकार और संस्थाएं इस प्रकार की विंदुओं पर पहल करे।
प्रमुख मीना देवी ने कहा कि पर्यावरण को संतुलन बनाये रखने के लिए अभियान चलाकर वृक्षारोपन का कार्य करना चाहिए। जल और वायु की अत्याधिक शोषण से प्राकृतिक सुंदरता समाप्त होती जा रही है। जिसे बचाए रखने की अवश्यक्ता है। क्योंकि जंगलो के वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण खतरे में है।
राष्टीय लोक समिति मंत्री चंद्रभुषण ने कहा कि भारत मे सरकारी आकडा के अनुसार सितंवर 1993 मे आये भुकंप से 9748 अक्टुबर 1994 मे उडीसा में तुफान से 9843 जनवरी 2001 मे भुज मे 20005 दिसंवर 2004 मे आइ सुनामी मे 16389 जनवरी 2013 मे 6054 लोग नार्थ इंडियन फलइस के कारण अपने जिंदगी को खो चुके है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गलोवल वार्मिंग कितनी बड़ी समस्या है। यदि वैश्विक परिदृश्य मे देंखे तो यह काफी बड़ा होगा।
सचिव शैलेंद्र कुमार ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए अपने घरों से बिजली,पानी,सवारियों का दुरुपयोग रोकना होगा। उन्होंने पावर पांइट प्रजेंटेशन के जरीय पर्यावरण बचाने का उपाय बताया।
पूर्व मंत्री विजय कुमार ने कहा कि बिहार में जैविक खाद प्रयोग कर एक क्रांतीकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। उन्होने अपने जन्म दिन पर एक पेड़ लगाने का लोगों से अपील किया।
सर्वोदय मंडल अध्यझ रामनाथ ठाकुर ने कहा कि जैव विविधता पर पड़ने वाले प्रभावों का आंकलन और निगरानी के लिए बहुआमी गहन शोध कार्य करने की अवश्यकता है और जैव विविधता के संरक्षण के लिए राज्य स्तर पर शिक्षा और जागरुकता कार्यक्रम,समुदाय और युवाओं की भागीदारी,क्षमता निर्माण,महिला समुह को शामिल कर सरकार और समाजिक संस्थाओं के बीच समन्वय आदि भी जलवायु परिवर्तन के जैव विविधता पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करने मे महत्वपुर्ण भूमिका निभा सकते है।
बाल मजदूरी अभियान के मुख्य अतिथि अरुण दास ने कहा कि गलोवल वार्मिंग एंव जलवायु परिवर्तन का विषय आमजनों के बीच चर्चा का विषय बन रहा है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाया गया। तब अनेकों जीव जंतुएं प्रभावित होंगे और जीवधारियों का नामोनिशान मिटने का सम्भावना भी वन सकता है।
इस सेमिनार में पटना, गया,जहानावाद,नवादा,नालंदा जिला के लगभग 144 प्रतिभागी ने भाग लिए और अपने अपने विचार प्रकट किए।
इस मौके पर विनोद शर्मा,सुनील कुमार, विजय कुमार, सीमी पांडेय, मनोज कुमार, मीना कुमारी, आकाझा सिंह,राकेश कुमार, कौशलेंद्र कुमार आदि लोग मौजूद थे।