एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। बिहारशरीफ सदर अस्पताल में उस समय एक गजब स्थिति उत्पन्न हो गई, जब एक रोगी को लेकर दो आशा कार्यकर्ता आपस में झोंटी-झोटौव्वल करने लगे। इस दौरान दोनों ने एक दूसरे पर खूब लात-घूंसे भी चलाते देखे गए।
इस झगड़े में चोटिल आशा कार्यकर्ता के अनुसार पास के एक दवा दुकानदार के रिश्तेदार की प्रसव कराने आई थी, जिसका हाल-चाल जानने वह जब वहां पहुंची तो पूर्व से बैठी एक दूसरे आशा कार्यकर्ता से तू-तू, मैं-मैं, गाली गलौज के बाद मामला बिगड़ती गई और दोनों के बीच झोंटी-झोंटौव्वल के साथ लात-घुसे चलने लगे।
इसके बाद भर्ती मरीज के परिजनों और अस्पताल कर्मियों के सहयोग से दोनों को हटा दिया गया। तब जाकर यह मामला किसी तरह शांत हो सका।
बिहार शरीफ सदर अस्पताल से मरीजों को निजी क्लीनिक में ले जाने के लिए आए दिन आशा कार्यकर्ता आपस मे भिड़ा करते है।
अगर कोई कर्मी इसका विरोध करता है तो उसे झूठे मुकदमे में फंसा देने की धमकी दिया करता है। यही कारण है कि जब ये लोग सदर अस्पताल से मरीज को निजी क्लीनिक में भेजते हैं तो कोई इसका विरोध नहीं करता है।
ऐसे में सवाल उठना लाजमि है कि सरकारी अस्पताल प्रबंधन और शार्ष जिला प्रशासन इस ओर गंभीरता से ध्यान क्यों नहीं देती। ताकि इस तरह के अराजकता की स्थिति उत्पन्न न हो और मरीजों को परेशानी व आर्थिक-मानसिक बचाया जा सके।