नालंदा दर्पण। लोकतंत्र का महान पर्व चुनाव में लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने मन मुताबिक जनप्रतिनिधि को चुनते हैं। लेकिन अफसोस कि सैकड़ों लोगों को वोट बहिष्कार की साज़िश का शिकार भी होना पड़ता है, जिससे सम्बंधित बूथ पर के मतदाता मताधिकार से वंचित रह जाते हैं।
निर्वाचन आयोग पिछले कई माह से वोट प्रतिशत बढ़ाने को लेकर एक तरफ जागरूकता अभियान भी चलाती है वही दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारियों के सुस्त रवैये से सैकड़ो कमजोर मतदाता मताधिकार से वंचित रह जाते है।
नालन्दा लोकसभा के नालन्दा विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत बूथ संख्या 177 जुआफ़र बाजार सिलाव प्रखण्ड के बूथ का भी यही हाल हुआ कि आधा दर्जन दबंग लोग वोट बहिष्कार के बहाने सैकड़ो कमजोर गरीब लोगों को मताधिकार से वंचित रखने में कामयाब हो गए।
स्थानीय लोगो को दबंगो ने लाठी डंडे का धौस दिखाकर बूथ पर जाने से रोक दिया।
वोट से वंचित मतदाताओं द्वारा अनुमण्डल पदाधिकारी राजगीर सहित जिला कंट्रोल रूम को सूचना दी फिर भी कोई एक्शन नही हुआ और सैकड़ो लोग मताधिकार का उपयोग नही कर सके।
अखबारों में सुर्खियां बन जाती है कि ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार किया। तब प्रशासन भी चुपचाप तमाशा देखने में ही अपनी भलाई समझता है, लेकिन जब स्थानीय लोग निर्वाचन से जुड़े पदाधिकारी को वोट देने से रोकने की सूचना देते है तो फिर प्रशासनिक एक्शन क्यों नही होता।
सिर्फ इसलिए की इस तरह के मतदाता गरीब और कमजोर वर्ग के होते है और बात जब किसी रसुखदार की सत्ताई तिलमिलाहट की होती है तो वोट बहिष्कार को ढंकने के लिए जबरिया कर्म पर उतर आते हैं, जैसा कि चंदौरा गांव में हुआ।