“बिहार नगर पालिका की स्थापना ब्रिटिश हुकूमत के समय यानि 1 अप्रैल 1869 में हुआ था, जबकि इसके भवन का उद्घाटन 1871 में ब्रिटिश एसडीओ एएम ब्रोडले की मौजूदगी में किया गया….”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। बिहार शरीफ नगर पालिका की स्थापना से लेकर आज तक यहां के वार्ड पार्षद सत्ताधारी दल के हुक्मरानों के इशारे पर नाचते रहे हैं।
पहले सीपीआई नेता वार्ड कमिशनर वेद प्रकाश सिंह का सिक्का नगर पालिका में चला। उसके बाद आरजेडी विधायक पप्पु खां का सिक्का चला।
समय बदल और पप्पु खां की सियासी पकड़ कमजोर हुई। उसके बाद स्थानीय विधायक डॉ सुनील का दबदबा कायम हुआ। और अब 2007 से लगातार हरनौत के पूर्व विधायक इंजीनियर सुनील का सिक्का बिहार शरीफ नगर निगम पर चल रहा है।
यानि जिस डिपुटी मेयर को गद्दी पर बिठाने श्रेय इंजिनियर सुनील के जाता। फिर उन्हें गद्दी से बेदखल करने में भी इंजिनियर सुनील की अहम भूमिका दिखी।
आज यानि 24 जुलाई को शंकर कुमार की पत्नी फूल कुमारी और नदीम की पत्नी शर्मीली परवीन के किस्मत का फैसला होगा।
हालांकि इस कुर्सी पर कौन काबिज होगा यह तो नहीं कहा जा सकता है। लेकिन आंकड़े बताते हैं की नदीम उर्फ गुलरेज की पत्नी शर्मीली परवीन के इस कुर्सी पर काबिज होने के पूरे आसार दिख रहे हैं।
हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि फूल कुमारी के पति शंकर कुमार ने मेहनत नहीं की है। शंकर ने इस कुर्सी को बचाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए मगर, उन्हें इसमें सफलता मिलती है या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।
मामला चाहे जो भी हो, लेकिन इतना तो सत्य है कि नगर निगम की ऐसी सियासत में एक बार फिर वार्ड पार्षदों की पांचों उंगलिया घी में तर गई।