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    Friday, April 19, 2024
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      समस्याग्रस्त नगर में चल रहा मेयर-उप मेयर की घिनौनी राजनीति

      आज बिहारशरीफ नगर निगम डिप्टी मेयर विहीन हो चुका है। मेयर की कुर्सी भी डांवाडोल है। पार्षदों के जिम्मे वाले विकास के सारे कार्य अधूरे पड़े हैं। वहीं इस मामले से जुड़े नए किस्से भी रोज नए उभर कर सामने आ रहे हैं…”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। अमुमन शांत और खामोश रहने वाला बिहार शरीफ नगर निगम आज राजनीति का अखाड़ा बन चुका है। एक के बाद एक अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने से पूरे नगर निगम की स्थिति असमान्य बनी है।

      उपमेयर फूल कुमारी के अविश्वास प्रस्ताव के समय झारखंड में मस्ती मनाते कई वार्ड पार्षदों का वीडियो भी सामने आए थे। हालांकि वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं होने के कारण यह मामला सुर्खियों में नहीं आ सका।

      मेयर के अविश्वास प्रस्ताव तथा उपमेयर के चुनाव को लेकर फिर उसी प्रकार की स्थिति बनी है। चुनाव में अपनी भूमिका से बचने के लिए कई वार्ड पार्षदों के पलायन की खबरें सामने आ रही है।

      बातें तो यह भी आ रही है कि उन्हें बड़ी रकम देकर स्वास्थ्य लाभ के लिए झारखंड भेजा गया है। इस पूरे खेल का मास्टर माइंड आखिर कौन है।  इसकी चर्चा भी जोरों पर है।

      कभी एकजुट रहने वाली वार्ड पार्षदों की टोली आज कई खेमों में बंटी नजर आ रही है। कुछ उपमेयर के खिलाफ मोर्चा संभाले हैं तो कुछ निरपेक्ष रहकर सारा तमाशा देखना चाह रहे हैं।

      वहीं मेयर के खिलाफ भी कई लोग खड़े दिखाई पड़ रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिन 16 वार्ड पार्षदों ने मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है। उन्हें ही मेयर की कुर्सी का रक्षक माना जा रहा है।

      मेयर पर अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद विशेष बैठक बुलाने के लिए निष्पक्ष व्यक्ति का चुनाव किया जाता है…

      विशेष बैठक बुलाने का आदेश मेयर निर्गत करती है। जिनके आदेश के आलोक में नगर आयुक्त विशेष बैठक बुलाते हैं। लेकिन जब मेयर तथा उपमेयर दोनों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका हो तो वैसी स्थिति में वार्ड पार्षद मिलकर एक निष्पक्ष वार्ड पार्षद का चुनाव करते हैं जिन्हें बैठक बुलाने का अधिकार दिया जाता है।

      ऐसे में चुप्पी साधे पार्षद अहम किरदार निभा सकते हैं। 22 को जहां मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा, वहीं 24 को उपमेयर का चुनाव है। ऐसे में मेयर अपनी कुर्सी बचाने की फिराक में हैं तो उपमेयर फूल कुमारी पुन: अपनी बादशाहत दुबारा कायम करने की जोर लगा रही हैं।

      इस खेल में पूरी शतरंजी चाल चली जा रही है। कई वार्ड पार्षदों की आवाज गुम है। वे कई दिनों से नगर निगम के दफ्तर में नहीं दिख पा रहे। ये चुप्पा पार्षद ही अहम किरदार साबित हो सकते हैं।

      शह और मात के इस खेल में पूर्व विधायक इंजीनियर सुनील की अहम भूमिका माना जा रहा है। अविश्वास प्रस्ताव का यह खेल नगर निगम तक ही सीमित नहीं रह गया है।

      इस खेल में इंजीनियर सुनील की भूमिका इस चुनाव में बड़ी हो सकती है। वे ताज उन्हें पहनाना चाहते हैं, जो उनके वोट बैंक को सुदृढ़ कर सकें। इसके लिए उन्होंने जोड़-तोड़ की राजनीति आरंभ कर दी है।

      उपमेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले वार्ड पार्षदः संजय कुमार वर्मा , अमरनाथ कुमार , प्रमोद कुमार , नारायण यादव , रमेश कुमार , नेहा शर्मा , राज मेहराज प्रसाद , रजनी रानी , प्रद्युम्न कुमार , उषा कुमारी , मो. असलम , सविता देवी , नीलम कुमारी , मो. वकील खां , अमीर खुसरो , मो. जमील अख्तर , मो. अशरफ , मेहरू निशां , शाहदा खातून , रोखसार , गजाला प्रवीण , शर्मिली प्रवीण , गुलशन आरा , नुसरत रहमान , शमां खानम , रीना महतो , नीरज कुमार , आरती देवी

      मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लान वाले वार्ड पार्षदः प्रद्युम्न कुमार , रंजय कुमार , नीलम गुप्ता , नारायण यादव , दिलीप कुमार , सविता देवी, राजमेहरा प्रसाद , रीना महतो , रमेश कुमार उर्फ नीरजभान , नेहा शर्मा , अमरनाथ कुमार , मो. वकील खां , अमीर खुशरू , शमा खानम , अशरफ अली खां , गजाला प्रवीन

      हालांकि मेयर के अविश्वास प्रस्ताव की विशेष बैठक की तिथि पर अभी जिच कायम है….

      बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 25 (4) का सब सेक्शन 2 में स्पष्ट लिखा गया है कि अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के 7 दिनों के अंदर नगर निगम की विशेष बैठक की सूचना निर्गत की जाएगी। वहीं सूचना निर्गत की तिथि से 15 दिनों के अंदर इस विशेष बैठक का आयोजन किया जाएगा।

      मतलब इस विशेष बैठक के लिए अधिकतम 22 दिनों का समय लग सकता है। वहीं कम से कम आठ दिनों के अंदर ऐसी बैठक बुलाई जानी चाहिए। हालांकि एक्ट में बैठक बुलाने की न्यूनतम समय की व्याख्या नहीं है।

      मेयर के अविश्वास प्रस्ताव को लेकर मात्र पांच दिनों के अंदर ही बैठक बुलाई जा रही है। इस संदर्भ में कानूनविदों का कहना है कि यह सब कुछ मेयर के उपर निर्भर करता है। मेयर के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को भी मेयर के नाम से भेजा जाता है।

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