वेशक बाल अपराध एक सामाजिक समस्या है। जैसा खेत होगा वैसा ही फसल होगा। जिस प्रकार एक बीज को वृक्ष बनाने के लिये काफी संरक्षण और धैर्य की आवश्यकता है, उसी प्रकार एक शिशु को अच्छे नागरिक बनाने के लिए एक अच्छे समाज का निर्माण आवश्यक है। एक राष्ट्र के तौर पर हमें अपनी कमियों को भी देखना पड़ेगा और जरूरत के हिसाब से इसका निदान भी करना पड़ेगा…
बिहारशरीफ (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा ने लहेरी थाना कांड संख्या 68/98 (जेजेबी 61/14) में दोषी पाये गये विधि विरूद्ध किशोर से किशोर न्याय अधिनियम की धारा 18(डी) के तहत दस हजार रुपए जुर्माना वसूलने का आदेश दिया है।
आदेश में दोषी किशोर से प्राप्त जुर्माना राशि से पर्यवेक्षण गृह में कौशल विकास कार्यक्रम के तहत जूट बैग बनाने की मशीन एवं अगरबती निर्माण हेतू साँचा क्रय करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
अतएव किशोर को पर्यवेक्षण गृह या सुरक्षा गृह में आवासित करने से किशोर के बच्चे एवं पत्नी अनाथ कि तरह हो जायेंगे। अतः इन सब परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तथा विधि विरूद्ध किशोर के सर्वोत्तम हित को देखते हुए तथा किशोर न्याय परिषद् 2015 के मूलभूत उद्देश्य, जिसमें विधि विरूद्ध किशोर का उचित देखरेख संरक्षण विकास, उपचार, सामाजिक पूर्नएकीकरण के मद्दे नजर रखते हुए किशोर न्याय अधिनियम की धारा 18 (डी) के अन्तर्गत दस हजार रुपए जुर्माना भुगतान करने का आदेश दिया जाता है।
साथ ही नालंदा जिला बाल संरक्षण इकाई को यह निर्देश दिया जाता है कि किशोर द्वारा जमा किये गये उक्त जुर्माने की राशि से पर्यवेक्षण गृह में आवासित किशोरों के लिए चलाये जा रहे कौशल विकास कार्यक्रम के तहत जूट बैग बनाने वाली मशीन, अगरबत्ती बनाने वाला सांचा इत्यादि का क्रय कर बिहार शरीफ नगर के दीपनगर अवस्थित पर्यवेक्षण गृह को प्रदत्त करें, ताकि आवासीत बच्चें इन क्रियाकलापों को सीख सकें और तथा आवासन की अवधि के बाद वे अपराधिक गतिविधि में भाग न लेकर सीखे कला से स्वलंबी बन सकें।
जज मिश्रा ने आदेशात्मक टिप्पणी है कि किशोरावस्था में व्यक्तित्व के निर्माण तथा व्यवहार के निर्धारण में वातावरण का बहुत हाथ होता है। इसलिये हमारा मुख्य ध्यान किशोर के मामले में अपराध पर नहीं, अपितु अपराध के कारणों पर होना चाहिए। एक प्रगतिशील लोक कल्याणकारी
जनतंत्र होने के नाते हम अपराध में संलिप्त अपने किशोरों को कड़ी सजा देकर उन्हें वयस्क अपराधियों के साथ जेल में नहीं डाल सकते। यह उनके भविष्य को नष्ट करने जैसा होगा।
किशोर न्याय परिषद के उक्त आदेश के अनुपालन हेतु नालंदा जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक को अधिकृत किया गया है। उन्हें विधि विरूद्ध किशोर या उनके अभिभावक द्वारा देय जुर्माना राशि से अपने मार्गदर्शन में आदेशित वस्तुओं का क्रय कर पर्यवेक्षण गृह में सुपूर्दगी उपरांत न्यायालय को सूचित करना है।