ACS डॉ. सिद्धार्थ का विदाई संदेश, शिक्षकों के नाम लिखा एक प्रेरक पत्र

नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार शिक्षा विभाग के मुख्य अपर सचिव (ACS) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने अपनी विदाई के अवसर पर शिक्षकों के लिए एक हृदयस्पर्शी संदेश लिखा है। यह पत्र न केवल उनकी भावनाओं का आईना है, बल्कि बिहार की शिक्षा यात्रा में शिक्षकों की अहम भूमिका को भी रेखांकित करता है। जैसे ही वे एक नई प्रशासनिक जिम्मेदारी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, उनका यह संदेश शिक्षकों और शिक्षा के प्रति उनके अटूट प्रेम और विश्वास को दर्शाता है।

डॉ. सिद्धार्थ ने अपने पत्र में लिखा है कि आज जब मैं शिक्षा विभाग से विदाई लेकर एक नई जिम्मेदारी की ओर अग्रसर हो रहा हूँ, तो मेरा हृदय भावनाओं से भरा हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में आप सभी के साथ मिलकर बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जैसे महत्त्वाकांक्षी प्रयासों पर कार्य करना मेरे जीवन का एक अमूल्य अनुभव रहा है।

उनके शब्दों में गहरी कृतज्ञता और शिक्षकों के प्रति सम्मान झलकता है। उन्होंने विद्यालयों में बच्चों की मुस्कुराहट और शिक्षकों के अथक परिश्रम से निर्मित सीखने के वातावरण को अपनी प्रेरणा का स्रोत बताया। यह संदेश शिक्षकों के समर्पण को नमन करता है, जिन्होंने शिक्षा को समाज परिवर्तन का आधार बनाया।

डॉ. सिद्धार्थ ने शिक्षकों के योगदान को अनमोल करार देते हुए कहा है कि बच्चों के भविष्य को गढ़ने में आपका योगदान अतुलनीय है। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि बिहार की शिक्षा-यात्रा आपके उत्साह और निष्ठा से नई ऊँचाइयों को छूती रहेगी।

उनके इस कथन से स्पष्ट है कि शिक्षकों का समर्पण ही बिहार की शैक्षिक प्रगति का मूल मंत्र है। चाहे वह ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को पढ़ाने की चुनौती हो या नई शिक्षण पद्धतियों को अपनाने का प्रयास, शिक्षकों ने हर कदम पर अपनी प्रतिबद्धता सिद्ध की है।

हालांकि डॉ. सिद्धार्थ अब शिक्षा विभाग से अलग हो रहे हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका शिक्षकों और शिक्षा के प्रति स्नेह हमेशा बना रहेगा। उन्होंने लिखा है कि यद्यपि मेरी प्रशासनिक भूमिका बदल रही है, किंतु शिक्षा और शिक्षकों के प्रति मेरा स्नेह और विश्वास सदा अडिग रहेगा।

उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे बच्चों के जीवन में आशा, जिज्ञासा, और सीखने की लौ को जलाए रखें। यह संदेश न केवल एक विदाई है, बल्कि एक प्रेरणा है कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था को और सशक्त बनाने का दायित्व अब भी शिक्षकों के कंधों पर है।

वेशक डॉ. सिद्धार्थ का यह पत्र बिहार के हर शिक्षक, छात्र और अभिभावक के लिए एक प्रेरणा है। यह हमें याद दिलाता है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, यह बच्चों के सपनों को पंख देने और समाज को नई दिशा प्रदान करने का माध्यम है।

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