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चुनाव आते ही यूं निकल आए थाली के बैगन बने छुटभैये नेताओं के पंख

चंडी के विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में एक निजी न्यूज चैनल की क्लिप वायरल हो रही है। जिसमें चंडी के एक जदयू कार्यकर्ता हरनौत विधानसभा से टिकट के लिए जदयू कार्यालय पहुंचे हुए हैं। वही उनके साथ राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व जिप अध्यक्ष भी है...

नालंदा दर्पण डेस्क। चुनाव आते ही छुटभैये नेताओं के सपनों का पंख लग जाता है। वार्ड का चुनाव तक जीतने की क्षमता नहीं रखने वाले नेता खुद अपने के लिए टिकट का दावा करने पार्टी कार्यालय पहुंच रहें है, आला नेताओं से गुहार लगा रहे है।

वही उनका साथ देने में विपक्ष के नेता भी मददगार बन रहे हैं। वैसे राजनीति में विकल्प हमेशा खुले रखने के लिये होते हैं, जो हमेशा खुला रहे और कभी बंद न हो ,वही विकल्प है।

कुछ छुटभैये नेता लोग तेजी से बदल रही स्थितियों के हिसाब से मूड और मुख मुद्रा बदलने के साथ दल और साथी बदल देने में माहिर होते हैं। ऐसे मामलों में नेताओं का कोई जबाब नहीं होता है।

ऐसे ही एक नेता की चर्चा जोरो पर चल रही है। जिन्होंने पार्टी की वफादारी को तेल दिखाकर एक सताधारी नेता को टिकट दिलाने जदयू कार्यालय पहुंच गये।

उन्होंने जदयू के एक सांसद से मिलकर टिकट की पैरवी भी की। जनता को इसकी भनक भी नहीं लगती अगर यह खबर और चेहरे मीडिया में नहीं आता।

चंडी के विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में एक निजी न्यूज चैनल की क्लिप वायरल हो रही है। जिसमें चंडी के एक जदयू कार्यकर्ता हरनौत विधानसभा से टिकट के लिए जदयू कार्यालय पहुंचे हुए हैं। वही उनके साथ राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व जिप अध्यक्ष भी है।

बताया जा रहा है कि राजद नेता अपने जदयू नेता की पैरवी के लिए एक सांसद से मिलने गये थे। न्यूज चैनल को स्वयं जदयू नेता बाइट दे रहें हैं और उनके बगल में राजद के नेता है।

इस खबर के बाद चंडी प्रखंड राजद में बबाल मचा हुआ है। पार्टी के कई नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एक युवा नेता बजाप्ता सोशल मीडिया पर उक्त नेता की धज्जी उड़ा कर रख दी है।

राजद के कई युवा नेताओं ने नालंदा दर्पण को बताया कि वे बहुत दिनों से पार्टी विरोधी काम कर रहें है। एक राजद नेता का सताधारी दल के चुनाव कार्यालय जाने का क्या मायने है। लोगों ने उन्हे पार्टी विरोधी कार्य के लिये पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग की है।

इससे पहले भी उक्त नेता हरनौत से जदयू के संभावित प्रत्याशी के कार्यालय में 15 अगस्त को ध्वजारोहण के लिये चले गयें थे। जिसकी चर्चा खूब रही।

जाहिर है ऐसे दल बदलू नेताओं में सिद्धांत या विचारधारा नाम की कोई चीज नहीं होतीं है। थाली के बैंगन की तरह ऐसे नेता जब चाहते हैं और जिधर चाहते हैं ढुलक जाते हैं।

वे केवल अपना निजी स्वार्थ या हित देखतें है। फिलहाल चंडी राजद में उनको लेकर उबाल और आक्रोश जोरों पर है।

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