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    Saturday, April 20, 2024
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      चुनाव परिणाम के पहले विधानसभा क्षेत्रवार हार-जीत की संभावनाओं में यूं जुटे हैं लोग

      चर्चाओं के मुताबिक नालंदा विधानसभा सीट पर जदयू प्रत्याशी श्रवन कुमार एवं निर्दलीय प्रत्याशी कौशल कुमार उर्फ छोटे मुखिया के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है।, वहीं हरनौत विधानसभा क्षेत्र में जद यू के हरिनारायण सिंह की स्पष्ट जीत....

      बिहार शरीफ( संजय कुमार)। नालंदा जिले के 7 विधानसभा क्षेत्रों में  3 नवंबर को चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। जैसे जैसे लोगों के पास विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से मतदान के आंकड़े आ रहे हैं ,वैसे वैसे लोग हार जीत कि चर्चा में मशगूल है।

      नालंदा जिले में एनङीए ने सभी 7 सीट पर अपने प्रत्याशियों को उतारा तो महागठबंधन ने भी सातों सीट पर प्रत्याशी मैदान में उम्मीदवार दिए हैं।

      लोजपा ने भी बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे है। कई अन्य दलों के भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं।

      पूरे सुबह की निगाहें नालंदा जिले के सातों विधानसभा क्षेत्रों पर टिकी हुई है। क्योंकि सूबे के मुखिया व जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार का गृह जिला भी है। इस कारण यहां हार जीत का अलग ही मायने निकाला जाता है।

      सबसे ज्यादा चर्चा नालंदा विधानसभा क्षेत्र की हो रही है। यहां से ग्रामीण विकास मंत्री व जदयू प्रत्याशी श्रवन कुमार चुनाव लड़ रहे हैं। वैसे तो इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 20 प्रत्याशी चुनावी दंगल  में थे।

      परंतु ,मुख्य मुकाबला जदयू प्रत्याशी श्रवन कुमार एवं निर्दलीय प्रत्याशी कौशल कुमार उर्फ छोटे मुखिया के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है। लोग अनुमान लगाने में लगे हैं कि कौन जीतेगा, कौन हारेगा।

      इन दोनों प्रत्याशियों को कितना वोट मिला। इससे भी अधिक मायने यह रखता है कि कांग्रेस प्रत्याशी गुंजन पटेल तथा लोजपा प्रत्याशी राम केश्वर प्रसाद उर्फ पप्पू ने कितना वोट काटा। लोग हार जीत का गणित इन्हीं दो प्रत्याशियों को मिले मतों के आधार पर गणना कर रहे हैं।

      वर्ष 2015 के आम विधानसभा चुनाव में नालंदा विधानसभा क्षेत्र में श्रवण कुमार ने अपने प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी कौशलेंद्र कुमार उर्फ छोटे मुखिया को मात्र 2996 मतों से हराया था।

      दूसरी सबसे अहम सीट है बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र यहां से एनडीए गठबंधन के नालंदा जिले में एक मात्र भाजपा प्रत्याशी डॉ सुनील कुमार का सीधा मुकाबला महागठबंधन के राजद प्रत्याशी सुनील कुमार से है।

      यहां कौन बाजी मारेगा या कौन हारेगा। यह इस बात पर निर्भर करता है कि बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय प्रत्याशी अफरीन सुलताना तथा निर्दलीय प्रत्याशी  रिटू कुमार उर्फ भोसु भाई यादव  को कितना वोट पङ़ा।

      लोगों में यह चर्चा है  की अगर निर्दलीय प्रत्याशी अफरीन सुल्ताना दस हजार से अधिक वोट लाती है तो  बिहार शरीफ में लालटेन बुझ जाएगा। क्योंकि, इन्होंने परंपरागत राजद को मिलने वाला वोट में ही इन्होंने सेंध लगाया है।

      भोसु भाई यादव भी अपने स्व: जाति वोट के साथ मुस्लिम एवं अन्य वर्गों का वोट लाते हैं, जो राजद का  परंपरागत यादव  जाति का वोट रहा हैं, वह भी लालटेन की लौ बुझा सकता है।

      वर्ष 2015 के बिहारशरीफ विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ सुनील कुमार ने जदयू प्रत्याशी मोहम्मद असगर समीम को मात्र 23 40 मतों से हराया था। जाप प्रत्याशी आफरीन सुल्ताना ने 12635 मत लाकर  तीसरे नंबर पर थी।

      हरनौत विधानसभा क्षेत्र का नाम आते ही स्वत: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम आ जाता है। उनकी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत हरनौत विधानसभा से ही हुई थी।

      यहां से जदयू ने पूर्व शिक्षा मंत्री हरिनारायण सिंह को उम्मीदवार बनाया। वहीं महागठबंधन ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में कुंदन कुमार को मैदान में उतारा। परंतु वे चुनाव समाप्ति के पूर्व ही लगभग मैदान छोङ़ते नजर आने लगे।

      लोजपा ने ममता देवी को उम्मीदवार बनाया। हरनौत विधानसभा क्षेत्र में सीधा मुकाबला जद यू के हरिनारायण सिंह व ममता देवी के बीच है। परंतु यहां से हरिनारायण सिंह भारी मतों से विजयी होंगे,ऐसी आम चर्चा है।

      विगत 2015 के हरनौत विधानसभा चुनाव में जदयू प्रत्याशी हरिनारायण सिंह ने लोजपा प्रत्याशी अरुण कुमार को 14,295 मतों से हराया था।

      हिलसा विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन ने राजद प्रत्याशी के रूप में वर्तमान विधायक अन्नी मुन्नी उर्फ शक्ति सिंह यादव को मैदान में उतारा है। वही एनडीए ने जदयू प्रत्याशी के रूप में कृष्णा मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया को उम्मीदवार बनाया है। वही लोजपा  ने रंजीत डॉन नाम से चर्चित कुमार सुमन सिंह उर्फ रंजीत सिंह को टिकट दिया।

      जब इस संवाददाता ने लोगों से बातचीत की तो यहां साफ तौर पर लगा कि जदयू या राजद प्रत्याशी की हार-जीत लोजपा प्रत्याशी द्वारा लाए गए वोटों पर निर्भर करता है। क्योंकि हिलसा एक कुर्मी बहुल क्षेत्र है। कुर्मी जाति का वोट कट जाने से जदयू प्रत्याशी की हार भी हो सकती है।

      यहां मुकाबला वर्तमान विधायक शक्ति सिंह यादव तथा जदयू प्रत्याशी प्रेम मुखिया के बीच ही कांटो की टक्कर होती दिख रही है। वर्ष 2015 के चुनाव में राजद प्रत्याशी अन्नी मुन्नी उर्फ शक्ति सिंह यादव ने लोजपा प्रत्याशी दीपिका कुमारी को 26076 वोटों से हराया था। तब यहां जदयू एवं राजद दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा था।

      अस्थावां विधानसभा क्षेत्र से जदयू ने वर्तमान विधायक जितेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया तो महागठबंधन ने राजद प्रत्याशी के रूप में अनिल कुमार उर्फ अनिल महाराज को यहां प्रत्याशी बनाया। वही लोक जनशक्ति पार्टी ने रमेश कुमार को चुनाव मैदान में उतारा।

      परंतु इस विधानसभा क्षेत्र में मुख्य मुकाबला जदयू प्रत्याशी व राजद प्रत्याशी के बीच आमने सामने होती दिख रही है। चर्चा यह है कि यहां से वर्तमान विधायक जितेंद्र कुमार आसानी से विजयी पताका फहरा सकते हैं।

      विगत 2015 के अस्थावां विधानसभा चुनाव में जदयू प्रत्याशी जितेंद्र कुमार ने लोजपा प्रत्याशी छोटे लाल यादव को 10244 मतों से हराया था।

      इस बार राजगीर सुरक्षित विधानसभा सीट से एनडीए ने जदयू प्रत्याशी के रूप में कौशल किशोर को मैदान में उतारा तो महागठबंधन ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जदयू के बागी विधायक रवि ज्योति कुमार को चुनाव मैदान में उतारा। वहीं लोक जनशक्ति पार्टी ने मंजू देवी को उम्मीदवार बनाया।

      यहां मुख्य मुकाबला जदयू के कौशल किशोर तथा कांग्रेस के रवि ज्योति के बीच में होता दिख रहा है। लोगों में यह चर्चा है कि वर्तमान विधायक रवि ज्योति दूसरे जिले के हैं, वहीं कौशल किशोर स्थानीय हैं।

      इनके पिता डॉ. एसएन आर्या, जो फिलहाल हरियाणा के राज्यपाल हैं, जनसंघ-भाजपा से 8 बार इस सीट से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। इसका लाभ कौशल किशोर को मिला है।

      लोग दावा के साथ कह रहे हैं कि यहां से जदयू प्रत्याशी ही जीत का माला पहनेंगे। विगत 2015 के चुनाव में राजगीर विधानसभा क्षेत्र से जदयू प्रत्याशी रवि ज्योति ने भाजपा प्रत्याशी सत्यदेव नारायण आर्य को 5390 मतों से हराया था।

      इस बार इस्लामपुर विधानसभा सीट से एनडीए ने जदयू प्रत्याशी के रूप में वर्तमान विधायक चंद्रसेन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया तो महागठबंधन ने राजद प्रत्याशी के रूप में राकेश कुमार रोशन को बनाया। वहीं लोजपा ने नरेश प्रसाद सिंह को टिकट दिया।

      यहां मुख्य मुकाबला जदयू एवं राजद के बीच होता दिख रहा है। यहां भी कांटे की टक्कर सआफ झलक रही है। ऐसे में कौन जीतेगा कौन हारेगा? लोग चर्चा में मशगूल हैं।

      विगत 2015  के इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू प्रत्याशी चंद्रसेन प्रसाद ने भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र गोप को 22602 मतों से हराया था।

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