Home धर्म-कर्म श्रीमद्भागवत कथा: कलियुग में अपनाएं कल्याण का मार्ग, मन-मस्तिष्क होगा स्वच्छ

श्रीमद्भागवत कथा: कलियुग में अपनाएं कल्याण का मार्ग, मन-मस्तिष्क होगा स्वच्छ

Bhagwat Katha Follow the path of welfare in Kaliyug, mind and brain will be clean
Bhagwat Katha Follow the path of welfare in Kaliyug, mind and brain will be clean

श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक चेतना का भी माध्यम बन रही है। श्रद्धालुओं का कहना है कि कथा सुनने से उन्हें मानसिक शांति और आत्मिक ऊर्जा प्राप्त हो रही है…

नगरनौसा (नालंदा दर्पण)। कलियुग में श्रीमद्भागवत कथा सुनने मात्र से मनुष्य का कल्याण संभव है। यह कथन नगरनौसा प्रखंड के लोदीपुर, जागो बिगहा और बोधी बिगहा गांव के देवी स्थान में जारी भागवत कथा कार्यक्रम के दौरान प्रख्यात कथा वाचक पंडित ओमप्रकाश शर्मा ने व्यक्त किए।

पंडित शर्मा ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान का अद्भुत भंडार है। इसके श्रवण से वातावरण की शुद्धि तो होती ही है।  साथ ही मन और मस्तिष्क भी स्वच्छ हो जाता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भागवत कथा का उद्देश्य लौकिक कामनाओं का अंत कर प्राणी को प्रभु की साधना में लगाना है।

पंडित शर्मा ने कथा सुनने आए सैकड़ों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रभु तो भाव के भूखे हैं। जब भक्त के अंदर सच्ची भावना और श्रद्धा जागृत होती है तो प्रभु के आगमन में देरी नहीं होती। उन्होंने कहा कि श्रद्धा और समर्पण से की गई उपासना ही सच्ची पूजा है। जो प्रभु को प्रसन्न करती है और भक्तों पर उनकी कृपा बरसती है।

कथा के दौरान पंडित शर्मा ने यह भी बताया कि कलियुग में श्रीमद्भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। इसके श्रवण से जन्म-जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं और प्राणी का लौकिक और आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कठिन तपस्या करनी पड़ती थी। वहीं कलियुग में केवल कथा श्रवण से व्यक्ति भवसागर से पार हो सकता है।

मंदिर परिसर में आयोजित इस भागवत कथा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। कथा के दौरान पंडित शर्मा ने भक्तों को प्रेरित किया कि वे भागवत के ज्ञान को अपने जीवन में आत्मसात करें। जिससे घर और समाज में सुख-शांति और पवित्रता बनी रहे।

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