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नवरात्र के दौरान इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित, जानें तांत्रिक पूजा से जुड़ा हैरतअंगेज रहस्य

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Entry of women is prohibited in this temple during Navratri, know the surprising secret
Entry of women is prohibited in this temple during Navratri, know the surprising secret

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के घोसरवा गांव में स्थित प्राचीन आशापुरी मंदिर अपनी अनूठी तांत्रिक परंपराओं और रहस्यमयी पूजा पद्धति के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। आश्चर्यजनक रूप से नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है।

सदियों से चली आ रही इस परंपरा का पालन आज भी पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ किया जाता है। आशापुरी मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए बल्कि अपनी रहस्यमयी तांत्रिक साधनाओं के लिए भी जाना जाता है।

तांत्रिक पूजा और महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंधः मंदिर के पुजारी पुरेंद्र उपाध्याय के अनुसार आशापुरी मंदिर में विशेष रूप से अश्विन और चैत्र नवरात्र के दौरान तांत्रिक विधि से पूजा-अर्चना की जाती है। यहां साधारण पूजा की जगह मंत्र, यंत्र और तंत्र की शक्तियों का आह्वान किया जाता है।

तांत्रिक साधना के दौरान अत्यधिक उग्र और तीव्र ऊर्जा का संचार होता है, जिसे संभालना हर किसी के बस की बात नहीं होती। यह विशेष रूप से महिलाओं के लिए अधिक संवेदनशील मानी जाती है, इसीलिए नवरात्र के समय महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से निषेध है।

तांत्रिक साधनाओं का महत्वः आशापुरी मंदिर में होने वाली तांत्रिक साधनाएं अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती हैं, जिनका उद्देश्य शक्ति का आह्वान करना होता है।

तांत्रिक साधकों का मानना है कि नवरात्र के समय तांत्रिक क्रियाएं विशेष रूप से शक्तिशाली होती हैं और इससे उत्पन्न ऊर्जा महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए इस परंपरा के अनुसार नवरात्रि के दौरान मंदिर में केवल पुरुष साधक ही पूजा-अर्चना करते हैं।

परंपरा का पालन और स्थानीय मान्यताएं: यह परंपरा घोसरवा गांव और उसके आसपास के क्षेत्रों में गहरी आस्था के साथ निभाई जाती है।

स्थानीय लोग मानते हैं कि इस परंपरा का पालन करने से गांव में शांति, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहती है। दशमी के दिन, नवरात्रि की समाप्ति पर महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर पूजा करती हैं और अपनी आस्था व्यक्त करती हैं।

सदियों पुरानी परंपराः आशापुरी मंदिर में तांत्रिक पूजा और महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी एक अनूठी धार्मिक परंपरा है, जो सदियों से बिना किसी बदलाव के चल रही है। यह मंदिर भारतीय तांत्रिक परंपराओं का एक अद्वितीय केंद्र है, जहां साधनाएं और पूजा पद्धतियां गूढ़ और शक्तिशाली मानी जाती हैं।

नवरात्रि के दौरान इस परंपरा के साथ जुड़े रहस्यमय तांत्रिक क्रियाकलाप और नियम इस मंदिर की विशिष्टता को और भी अधिक बढ़ा देते हैं। इस रहस्यमयी और प्राचीन परंपरा को लेकर घोसरवा गांव के लोग गहरे विश्वास और सम्मान के साथ इसका पालन करते हैं, और इस आस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बने रहते हैं।

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