बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। जदयू-भाजपा नित नीतीश सरकार द्वारा संविदा कर्मियों की सेवा नियमित किए जाने की घोषित नीति के तहत नियमितीकरण प्रतीक्षा कर रहे कार्यपालक सहायकों की सेवा को सरकार ने नियमितीकरण की नीति से यू टर्न लेते हुए अशोक चौधरी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की स्वीकृति अनुशंसा सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी संकल्प 12534 तथा 1003 के निहित प्रावधान के लाभ से सरकार वंचित कर बेल्ट्रॉन के माध्यम से आउट आउटसोर्स– ठेकाकरण का निर्णय सुना दिया है।
बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ- बेएसा(गोप गुट) के प्रदेश अध्यक्ष आशीष कुमार तथा कार्यकारी अध्यक्ष मारुति नंदन भारद्वाज एवं सुधीर कुमार सिंह सहित संघ के अन्य नेताओं द्वारा पत्रकार सम्मेलन में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि सचिवालय से लेकर 500 से अधिक प्रखंड अंचल व हजारों पंचायतों में 50 से अधिक सरकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन संविदा पर कार्यरत लगभग 25000 कार्यपालक सहायक पिछले 11 वषों से करते आ रहे हैं, इसके बावजूद नीतीश सरकार द्वारा नियमितीकरण करने के बजाय आउटसोर्स -ठेकाकरण किए जाने के खिलाफ राज्य के 30,000 कार्य पालक सहायक 15 मार्च 20 21 से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर सभी जिला व प्रखंड मुख्यालय में धरना पर बैठे हैं।
संघ के नेताओं ने कहा कि यही कामना है कि बिहार सरकार के जिस समान्य प्रशासन विभाग ने नियमितीकरण संबंधी उक्त संकल्प जारी किया, उसी के अधीन बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसायटी के अंतर्गत कार्यरत कार्यपालक सहायकों को संकल्प में अधिसूचित लाभों को अब तक स्वीकृत नहीं किया गया है।
इन नेताओं का यह भी कहना है कि समान्य प्रशासन विभाग के बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसायटी द्वारा विभिन्न विभागों में कार्यरत लगभग 25000 कर पालक सहायकों की सेवा को जबरन बेल्ट्रॉन के माध्यम से आउटसोर्स -ठेकाकरण करने का एक तरफा निर्णय कार्यपालक सहायकों से हुए एकरारनामा का एकतरफा ढंग से घोर उल्लंघन कर उसकी शासी परिषद की दिनांक 5-02- 2021 को 29वीं बैठक से ले लिया गया है, जो बिल्कुल अनुचित, नैसर्गिक न्याय विरोधी एवं अनावश्यक तथा सरकार के नियमितीकरण की नीति के विरुद है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने बरसों से कार्यरत कार्यपालक सहायकों सहित अन्य संविदा कर्मियों की सेवा को आउटसोर्स -ठेकाकरण करने के संबंध में कभी घोषणा या संकल्प जारी नहीं किया, बल्कि हमेशा नियमितीकरण संबंधी घोषणा व संकल्प जारी किया है।
संघ के नेताओं ने कहा कि यह मजेदार तथ्य है कि बीपीएसम की साशी परिषद ने कार्यपालक सहायकों के आउटसोर्स का निर्णय सरकार द्वारा नियमितिकरण से संबंधित सा.प्र.वि. द्वारा पहले अक्टूबर 2018 में जारी संकल्प 12534 तथा दूसरा दिनांक 21-01-2021 को जारी संकल्प (1003) की तिथि के बाद दिनांक 5 फरवरी 21 को लिया गया है ,जो घोर आपत्तिजनक है।
इन नेताओं का कहना यह भी है कि कार्यपालक सहायक की सेवा बेल्ट्रॉन आउटसोर्स हो जाने के बाद 11 वर्षों से कार्यरत कार्यपालक सहायक बहुत सारे लाभ से वंचित हो जाएंगे ,बहुत सारा अधिकार छीन जाएगा तथा बेल्ट्रॉन में इन्हें अपनी सेवा शून्य से अर्थात फ्रेश कैटेगोरी से शुरू करना होगा।
कार्यपालक सहायकों के मनोबल, सम्मान ,गरिमा व आत्मसम्मान के विरुद्ध नीतीश सरकार द्वारा आउटसोर्स कि मांग कार्यपालक सहायकों को नियमित करने व सीपीएसएम साशी परिषद कि 29बैठक से आउटसोर्स का लिए गए निर्णायक को रद्द करने की मांग करते हुए सत्तारूढ़ दल व विपक्ष के नेता यथा राज्य के उप-मुख्यमंत्री, बीजेपी, माले ,राजद ,कांग्रेस सहित कुल 30 से अधिक विधायकों -सांसदों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है।
इसके बावजूद भी अभी तक मुख्यमंत्री चुप्पी साधे हैं। कार्यपालक सहायकों को आउटसोर्स किए जाने से मासिक 8 करोड़ व सालाना लगभग 100 करोड रुपए सरकारी राजस्व का नुकसान होगा तथा फायदा बेल्ट्रॉन मित संबंधित निजी कंपनी उर्मिला इन्फोटेक लिमिटेड को होगा ।
संघ नेताओं ने कहा है कि उक्त परिस्थिति में, दमनात्मक परिस्थितियों में आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए संघ ने बीपीएसएम साशी परिषद की 29वीं बैठक से आउटसोर्स निर्णय को निरस्त करने व नियमितीकरण की मुख्य मांग सहित 8 सूत्री मांगों के लिए बिहार विधानसभा के चालू सत्र के दौरान विधानसभा के समक्ष पटना में 24 मार्च को राज्यस्तरीय प्रदर्शन करेंगे ,जिसमें हजारों कार्यपालक सहायक भाग लेंगे।