नालंदा दर्पण डेस्क। कहने को हम भले ही 21वीं सदी में जी रहे हो, लेकिन आज भी समस्याओं वाले इस देश में झाड़-फूंक,जादू-टोने में उसका निदान ढूंढा जा रहा है। माना कि हमारे देश की संस्कृति, आस्था और विश्वास से बनी है। लेकिन इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि यही आस्था जब विश्वास से अंधविश्वास में बदल जाती है तो बड़ी मुसीबत भी लेकर आती है। कई बार इसका नुकसान बड़ा हो जाता है।