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अध्यात्म और पर्यटन का अनूठा संगम बना घोड़ाकटोरा गंगा जलाशय

राजगीर (नालंदा दर्पण) क्या आपने कभी सोचा है कि एक जलाशय न केवल जल संकट का समाधान हो सकता है, बल्कि आध्यात्मिक और पर्यटन का केंद्र भी बन सकता है? नालंदा के घोड़ाकटोरा में गंगा जल उद्वह परियोजना के तहत निर्मित जलाशय ने यह सपना साकार कर दिखाया है।

यह जलाशय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। यह  राजगीर, नवादा और गया तक पवित्र गंगा जल पहुंचाने का माध्यम तो है ही, अब यह पर्यटकों के लिए भी एक मनोरम स्थल के रूप में उभर रहा है।

गंगा नदी का जल भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता का प्रतीक है। घोड़ाकटोरा जलाशय में मोकामा से लाया गया गंगा जल न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसकी शांत और मनोरम छटा पर्यटकों को भी अपनी ओर खींच रही है।

350 एकड़ में फैला यह जलाशय की जल भंडारण क्षमता 9.8 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) है। जो कि एक विशाल और सुंदर जलराशि के रूप में प्रकट होता है। चारों ओर हरियाली और शांत वातावरण इसे एक आदर्श पिकनिक स्थल बनाते हैं।

इस महत्वाकांक्षी परियोजना की नींव फरवरी 2020 में रखी गई थी और 15 जुलाई 2022 को पहली बार मोकामा से गंगा जल इस जलाशय तक पहुंचा। 27 नवंबर 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर गंगा जल परियोजना का उद्घाटन किया। कुल 4174 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह जलाशय बिहार के जल संकट को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

वर्तमान में घोड़ाकटोरा जलाशय पर्यटकों के बीच लोकप्रिय तो हो रहा है, लेकिन उनकी संख्या अभी सीमित है। यदि इस स्थल का प्रचार-प्रसार प्रभावी ढंग से किया जाए तो यह बिहार का एक प्रमुख प्राकृतिक और आध्यात्मिक पर्यटन स्थल बन सकता है। पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएं, जैसे- बैठने की व्यवस्था, स्थानीय खान-पान के स्टॉल और गाइडेड टूर इसकी लोकप्रियता को और बढ़ा सकते हैं।

वेशक घोड़ाकटोरा गंगा जलाशय केवल एक इंजीनियरिंग उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर का प्रतीक बनने की ओर अग्रसर है। यह जलाशय नालंदा और बिहार के लिए गर्व का विषय है। क्योंकि यह आध्यात्मिकता, पर्यटन और विकास के त्रिवेणी संगम को दर्शाता है।

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