बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। नगरनौसा प्रखण्ड क्षेत्र के दामोदरपुर बल्धा पंचायत के राशनकार्ड धारियों की मानें तो उन्हें डीलर द्वारा जनवरी महीने का राशन नही दिया गया है, जबकि सरकारी आकड़ों के अनुसार लाभुकों को राशन वितरण कर दिये जाने की बात सामने आई है।
इसी संदर्भ में एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क से जुड़े रिपोर्टर राजीव रंजन कुमार ने आज जब पंचायत के जन वितरण प्रणाली दुकानदार राधे साव से लाभुकों के समक्ष जानने की कोशिश की कि किस माह का राशन वितरण किया जा रहा है तो इस बात को लेकर राधे साव व उनका पुत्र विकाश कुमार जबाब देने के वजाय सरेआम गुण्डई पर उतर आया उल्टे अनर्गल सवाल करते हुए धमकियां देने लगा।
इस पूरे घटना के बीच जदयू पंचायत अध्यक्ष सुधीर कुमार मूकदर्शक बनकर देखते रहे, जो कि पंचायत वासियों मे एक चर्चा का विषय बना हुया है कि कुछ दिन पहले यहीं सुधीर कुमार पंचायत वासियों में यह ढिंढोरा पीटा करते थे कि नवंबर महीने का राशन, जो डीलर गवन कर लिया था, उसे हमने अपने पहुँच और पैरवी के दम पर दिसंबर और नवंबर महीने में मुफ्त मिलने वाली राशन एक साथ वितरित करवा दिया है।
जबकि लाभुकों के द्वारा पड़ताल के बाद हकीकत यह निकला कि खाद्य आपुर्ति विभाग, बिहार सरकार के निर्देशानुसार दिसंबर और जनवरी का राशन एक साथ वितरित किया जाना था। लाभुकों द्वारा किये जा रहे राशन गवन की चर्चा मीडिया तक पहुँची तो मीडिया ने हकीकत दिखाने के लिये जन वितरण प्रणाली दुकानदार से जानने पहुँची ही थी कि यह निंदनीय घटना कारित कर दी जाती है।
इस पूरे घटनाक्रम की पड़ताल से साफ जाहिर होता है कि कुछ टुच्चे दलालों, जिनमें अपरोक्ष रुप से कतिपय स्थानीय रिपोर्टर भी शामिल है, एक सुनियोजित तरीके से नगरनौसा में हुए व्यापक राशन घोटाला को दबाने की मंशा से यह साजिश रची।
इस संभंध में जब रिपोर्टर राजीव रंजन कुमार ने नगरनौसा प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, जोकि प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी के प्रभार में भी हैं, इस घटना की जानकारी दूरभाष पर बताई तो उन्होंने कहा कि यह पुलिस-प्रशासन का मामला है। आप वहीं लिखित शिकायत करिये। फिलहाल रिपोर्टर ने लिखित शिकायत थानाध्यक्ष को सौंपकर उचित कार्रवाई करने की माँग की है। थानाध्यक्ष ने दोषियों पर कठोर से कठोर कारवाई करने का आश्वासन दिया है ।
अब ऐसे मे यहाँ यह सबाल उठना लाजमि है कि यहां बेलगाम डीलरों का मनोबल इतना कैसे बढ़ गया है, जो मीडिया के सवाल का जबाव देने के बजाय सीधे गुंडई पर उतर आते हैं। ऐसे भ्रष्ट डीलरों के आगे आम गरीब लाभुकों की क्या बिसात होती होगी, सहज आंकलन किया जा सकता है।