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इंडियन आइडल फेम अरुणिता-पवनदीप ने राजगीर महोत्सव में बांधे सुरो की शमां

राजगीर महोत्सव में मौजूद दर्शकों ने इंडियन आइडल फेम अरुणिता-पवनदीप की जोड़ी की जमकर सराहना की। महोत्सव के दौरान उनके सुरों का जादू ऐसा चला कि पंच पहाड़ियां भी थिरकने को मजबूर हो गईं

राजगीर (नालंदा दर्पण)। तीन दिवसीय राजगीर महोत्सव-2024 के समापन की शाम सुरों के सितारों पवनदीप और अरुणिता के नाम रही। इंडियन आइडल फेम इस युगल जोड़ी ने अपनी सुमधुर आवाज़ और शानदार प्रस्तुतियों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। बिहार के ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पंच पहाड़ियों के बीच गूंजते उनके सुरों ने संगीत प्रेमियों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी।

इस महोत्सव में न केवल स्थानीय लोग बल्कि बिहार और देश के कई हिस्सों से आए दर्शकों की भीड़ उमड़ पड़ी। सुरमई शाम का आरंभ अरुणिता ने किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत मशहूर गीत ‘पल पल ठहर जाओ’ से की। इसके बाद उन्होंने ‘आ लग जा गले’और ‘सुन रहा है ना’ जैसे सदाबहार गानों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। अरुणिता की दिलकश आवाज़ ने ठंडी शाम में एक नई गर्माहट भर दी।

इसके बाद जब मंच पर पवनदीप ने कदम रखा तो जर्मन हैंगर पंडाल तालियों और सीटियों से गूंज उठा। पवनदीप ने ‘अगर तुम न हो’ और ‘आज मौसम बड़ा बेईमान है’ जैसे गानों से शुरुआत की और दर्शकों को सुरमई सफर पर ले गए। उनके गाए ‘कैसे हुआ’ और ‘ले जाए जाने कहां हवाएं,  जैसे गानों पर पूरा पंडाल झूम उठा।

दोनो कलाकारों ने पुराने और नए गानों का खूबसूरत मिश्रण पेश किया। पवनदीप ने जब ‘कोरा कागज था ये मन मेरा’ गाया तो श्रोताओं की पुरानी यादें ताजा हो गईं। समापन के लिए उन्होंने ‘केसरिया’ गाया। जिसने पूरी महफिल को चार चांद लगा दिए।

राजगीर महोत्सव का यह सांगीतिक समापन इस बात का प्रमाण था कि संगीत न केवल दिलों को जोड़ता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी जीवित रखता है। यह शाम सुरों और तालियों की गूंज के साथ लंबे समय तक स्मरणीय रहेगी।

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