नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी सह अपर जिला व सत्र न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्रा ने तमाम हालातों के मद्देनजर फिर एक बड़ा मानवीय फैसला दिया है। उनके इस फैसले पर किशोर न्याय परिषद के सदस्य धर्मेंद्र कुमार और उषा कुमारी ने भी सहमति दी।
उन्होंने वर्ष 2009 में हिलसा में चोरी के आरोप में पकड़े गए किशोर को दारोगा की लिखित परीक्षा पास करने पर सारे आरोप से बरी कर दिया। और न सिर्फ मुकदमे को बंद किया, बल्कि एसपी हरि प्रसाथ एस. को उसके किशोरावस्था में किए गए अपराध को आचरण प्रमाणपत्र में जिक्र नहीं करने का आदेश दिया है।
कहते हैं कि वर्ष 2009 में किशोर चोरी व चोरी के सामान रखने के मामले में चार वयस्कों के साथ आरोपित था और वह जमानत पर चल रहा था। लेकिन इस दौरान उसने दारोगा बहाली की लिखित परीक्षा पास कर ली। 15 मार्च से उसकी शारीरिक दक्षता परीक्षा शुरू होने वाली है।
इस संबंध में आरोपी ने न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्रा के समक्ष दारोगा बहाली का रिजल्ट दिखाते हुए रिहा करने के वास्ते आवेदन दिया था। उसने यह भी बताया कि उस पर अन्य कोई मुकदमा किसी भी न्यायालय या थाने में लंबित नहीं है।
इस पर न्यायालय ने आरोपित की घटना के समय उम्र सीमा 14 वर्ष से कम होने व प्रतिभा एवं आचरण को देखते हुए दोषमुक्त कर दिया।
दरअसल, हिलसा थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी किशोर दुकान से कैलकुलेटर, सिम, कूपन, डेटा कार्ड, चार्जर व अन्य सामान चुराने का आरोपित था। इसमें इसके अलावा चार वयस्क लोग भी शामिल थे।
इस मामले को हिलसा न्यायालय से आरोपित किशोर को उम्र जांच एवं अग्रतर कार्रवाई के लिए जुबेनाइल न्यायालय में भेजा था। वहां किशोर द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र के आधार पर न्यायालय ने घटना के समय किशोर की उम्र 14 वर्ष से कम पायी थी।
जिस वक्त चार अन्य वयस्कों के साथ वर्ष 2010 में किशोर पर चोरी का आरोप लगा था, उस वक्त वह नौवीं का छात्र था। तब यह मामला हिलसा न्यायालय में चल रहा था। मामले में वह बेल पर रहा। जेल जाने की नौबत नहीं आयी। लेकिन, वह अपनी करतूतों पर काफी पछताया और पढ़ाई में इस कदर तल्लीन हुआ कि अपने दोस्तों के बीच अलग पहचान बनाने में सफल रहा।
इसी बीच दारोगा बहाली के लिए वैकेंसी निकली। वह स्नातक पास कर चुका था। उसने दारोगा बहाली का फॉर्म भरा और लिखित परीक्षा में सफल भी हुआ। इसी दौरान, वर्ष 2018 में यह मामला जेजेबी, बिहारशरीफ स्थानांतरित किया गया। क्योंकि, घटना के वक्त वह किशोर था। अन्य चार वयस्कों का केस हिलसा तो किशोर का मामला जुबेनाइल न्यायालय में आ गया। और उसे जुबेनाइल होने का फायदा मिला।
न्यायालय ने अपने फैसले में यह संभावना व्यक्त की कि चारों वयस्क आरोपित घटना के समय भय, लोभ, दबाव या अन्य तरह के प्रभाव में लेकर किशोर के मन मस्तिष्क को प्रभावित किया होगा। इसकी वजह से किशोर का अपरिपक्व मस्तिष्क भटकाव का शिकार हो गया होगा। ऐसे में उसके उज्ज्वल भविष्य व प्रतिभा को देखते हुए रिहाई का फरमान जारी किया।