“वेशक, बच्चों का स्वाभाविक गुण है कि जब वे अपने माता पिता अथवा बड़ों को झगड़ते या मारपीट करते देखते हैं तो उनका बचाव करने, उन्हें सहयोग करने की भावनावश घटना में शामिल हो जाते हैं। उस समय उन्हें अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं होता। उनका एकमात्र लक्ष्य अपने परिजन की बचाना और उनकी सहायता करना होता है। ऐसे मामलों में कानून की नजर समान नहीं रखा जा सकता…
बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। जिला किशोर न्याय परिषद (जेजेबी) के प्रधान दंडाधिकारी सह अपर जिला व सत्र न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्रा ने इंटर की परीक्षा पास करने वाले दो विधि विरूद्ध किशोरों को आरोप से मुक्त करते हुए जांच कार्यवाही बंद करने का आदेश दिया है।
दोनों किशोर पर्यवेक्षण गृह में आवासित थे और मेहनत से पढ़ाई कर इंटर साइंस की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं। दोनों ने मामले के विचारण के दौरान किशोर न्याय परिषद में पूरी मेहनत से पढ़ाई कर इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने का वादा किया था।
जज मिश्रा ने भी उसे भरोसा दिया था कि बेहतर अंक से परीक्षा पास हुए तो उसे राहत देंगे। दोनों अपने वादा पर खरा उतरे और दोनों ने ही प्रथम श्रेणी से परीक्षा पास की। एक किशोर को 65 प्रतिशत तो दूसरे को 69 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं।
दोनों की इच्छा थी कि वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बिहार से बाहर किसी अच्छे कालेज में जाये। दोनों को चल रहे मुकदमे को लेकर यह भय भी था कि मुकदमे के कारण पढ़ाई प्रभावित होगी। किशोर ने खुद को निर्दोष बताया था।
दरअसल, दो वर्ष पुराने दोनों मामले में एक हरनौत थाना क्षेत्र एवं दूसरे नालंदा थाना क्षेत्र से जुड़े हैं। सूचिका ने नालंदा थाना क्षेत्र के एक गांव में अप्रैल 2019 को एक किशोर पर खेत पटवन करने को लेकर गाली गलौज और मारपीट का आरोप लगाया था।
आरोप के अनुसार एक महिला के माता-पिता के साथ किशोर ने गाली गलौज और मारपीट की थी। घटना के दिन उसकी आयु 15 वर्ष थी।
दूसरा मामला हरनौत थाना क्षेत्र के एक गांव से जुड़ा था। वर्ष 2019 की है। सूचक ने किशोर पर बाइक चोरी करने का आरोप लगाया था। दो मार्च 21 को ही मामला किशोर न्याय परिषद में भेजा गया।
घटना के समय किशोर की आयु करीब 15 वर्ष थी। किशोर ने कहा था कि उसे मालूम नहीं था कि उसके दोस्त ने चोरी की बाइक कहीं से सस्ते में खरीदा है और इसी वजह से वह अपने दोस्त के साथ बाइक पर बैठकर जा रहा था, तभी पुलिस जांच में पकड़ लिया गया।