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    Saturday, April 20, 2024
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      बैंककर्मियों की दो दिवसीय हड़ताल से जनजीवन हुआ प्रभावित, वहीं भाकपा माले ने मनाया निजीकरण विरोध दिवस

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। यूनाइटेड फोरम ऑफ आर. आर .बी .यूनियन्स के आह्वान पर नालंदा जिले के बैंक कर्मचारी भी आज से दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए। जिससे बैंकों में ताला लटका रहा। जरूरतमंद लोग भी परेशान दिखे।

      बैंक कर्मचारियों ने विभिन्न मांगों को लेकर दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है। इनकी मांगे हैं बैंकों के निजीकरण की नीति को वापस लिया जाए, ग्रामीण बैंकों में 11वें वेतन समझौता को पूर्ण रूप से तत्काल लागू किया जाए, ग्रामीण बैंकों में भी प्रवर्तक बैंक के अनुरूप संशोधित पदोन्नति प्रक्रिया लागू की जाए, एनपीएस व्यवस्था समाप्त कर पेंशन योजना 1993 -95 लागू की जाए। दैनिक वेतनभोगी को नियमित किया जाए।

      वहीं दूसरी ओर शनिवार से बैंक लगातार आज तीसरे दिन बंद रहे ,जिससे आम जनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। बिहारशरीफ में एटीएम का बुरा हालत पहले से ही है।

      बैंक के साथ ही एटीएम खुलते हैं तथा बंद हो जाते हैं। बैंकों का दावा की 24 घंटे एटीएम खुले रहते हैं, वह पहले ही हैं खोखला साबित हो चुका है। बैंक के साथ ही एटीएम बंद रहने से भी लोग खासा परेशान दिखे।

      वही भाकपा माले और माकपा ,नालंदा की ओर से निजीकरण विरोधी दिवस मनाया गया। भाकपा माले की जिलास्तरीय टीम में एआईसीसीटीयू के राज्य उपाध्यक्ष मकसूदन शर्मा,अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला सचिव पाल बिहारी लाल,बिहार राज्य जनवादी बीड़ी मजदूर यूनियन के कार्यकारिणी सदस्य सुभाष शर्मा, बीड़ी मजदूर नेता और माले नेता बंगाली दास ,माकपा और सीटू नेता तस्लीमुद्दीन इंसाफ मंच के नसीरुद्दीन शामिल थे।

      15-16 मार्च को बैंक कर्मियों की हड़ताल का समर्थन करते हुए माले नेताओं ने कहा कि केंद्र की एनडीए सरकार बैंकों का निजीकरण कर देश के गरीबों के बचत का पैसा पूंजीपतियों को देना चाह रही है। खेत और खेती का भी निजीकरण करना चाह रही है, खाद्य वस्तुओं की तिजारत देसी विदेशी कारपोरेट कंपनियों के हवाले कर देश की जनता पर भयंकर महंगाई थोपना चाह रही है।

      अभी डीजल,पेट्रोल,रसोई गैस की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि कर गरीबों को जंगल युग में धकेल दिया। गावों में लोग लकड़ी चुन कर खाना बना रहे हैं। इस जन विरोधी सरकार के खिलाफ बड़ी जन कारवाई करने की जरूरत है। किसान विरोध तीनों कानूनों को वापस लेना होगा। बैंकों के निजीकरण करने पर रोक लगाना होगा।

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