Home नालंदा अपार अभियान में नालंदा फिसड्डी, अब तक महज15.13% छात्रों का बना आईडी

अपार अभियान में नालंदा फिसड्डी, अब तक महज15.13% छात्रों का बना आईडी

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Nalanda lags behind in Apaar Abhiyan, till now only 15.13% students have got their IDs made
Nalanda lags behind in Apaar Abhiyan, till now only 15.13% students have got their IDs made

अपार आईडी अभियान की धीमी गति नालंदा जैसे जिले के लिए एक बड़ी चुनौती है। लेकिन यदि प्रशासन और स्कूल गंभीरता से पहल करें तो यह योजना न केवल छात्रों के लिए लाभकारी होगी, बल्कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था को भी नई दिशा देगी

बिहारशरीफ (नालंदा)। शिक्षा को डिजिटल युग से जोड़ने और छात्रों की शैक्षिक यात्रा को ट्रैक करने के उद्देश्य से बिहार में ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार आईडी) सभी स्कूलों के लिए अनिवार्य कर दी गई है। हालांकि नालंदा जिले में इस योजना की प्रगति बेहद धीमी है। जिले के सिर्फ 15.13% छात्रों का ही अपार आईडी जेनरेट हो सका है, जबकि राज्य में यह आंकड़ा भी केवल 16.49% पर सिमटा हुआ है।

दरअसल अपार आईडी एक 12-अंकों का यूनिक कोड है, जो छात्रों की सभी शैक्षणिक और सह-शैक्षणिक जानकारियों को डिजिटली संग्रहीत करता है। इसमें छात्र का नाम, पता, गार्जियन का नाम, फोटो, शैक्षिक रिकॉर्ड, खेल-कूद की उपलब्धियां, मार्कशीट, कैरेक्टर सर्टिफिकेट और ट्रांसफर सर्टिफिकेट जैसे सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल होंगे। यह आईडी छात्रों को उनकी शैक्षिक यात्रा के दौरान किसी भी स्कूल में प्रवेश या दस्तावेजों के सत्यापन के लिए मदद करेगी।

शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार नालंदा जिले में अब तक केवल 15.13% छात्रों का ही अपार आईडी बनाया गया है। वैशाली, शेखपुरा और भागलपुर जैसे जिलों ने अपार आईडी निर्माण में शीर्ष स्थान हासिल किया है। जबकि नालंदा 20वें स्थान पर है।

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (बीईपी) ने सभी जिलों के डीईओ को निर्देश दिया है कि अपार आईडी निर्माण के लिए जिला, प्रखंड और विद्यालय स्तर पर विशेष अभियान चलाया जाए। छात्रों के माता-पिता को इसकी जानकारी देकर सहमति पत्र भरवाने की प्रक्रिया भी अनिवार्य कर दी गई है।

अपार आईडी के फायदे और संभावनाएंः

  • छात्रों को स्कूल बदलने या अन्य शैक्षिक संस्थानों में नामांकन के लिए डॉक्यूमेंट्स ले जाने की जरूरत नहीं होगी।
  • यूनिक आईडी के जरिए छात्र की सभी जानकारी देशभर में कहीं भी उपलब्ध होगी।
  • नेशनल और इंटरनेशनल स्तर की उपलब्धियों का रिकॉर्ड भी इस आईडी में जुड़ा रहेगा।
  • डिजिटल युग में यह कदम छात्रों को आधुनिक संसाधनों से जोड़ने में सहायक होगा।

इस संबंध में नालंदा डीईओ राज कुमार का कहना है कि अपार आईडी निर्माण में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी बीईओ और विद्यालय प्रमुखों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि इस अभियान को तेजी से पूरा करें।

अपार आईडी एक छात्र की शैक्षिक पहचान का स्थायी दस्तावेज होगा। इसे बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह न केवल छात्रों की सुविधाओं को बढ़ाएगा बल्कि राज्य के शिक्षा तंत्र को भी अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी बनाएगा।

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