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    Friday, March 29, 2024
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      उतरते होली की खुमार के बीच चंडी के गांव-जेवार पर चढ़ा यूं सियायती बुखार

      “मौसम भी अंगड़ाई ले चुकी है। मौसम में उमस और गर्मी के साथ-साथ पंचायत चुनाव की दस्तक देने लगीं है। चौक-चौराहों से लेकर गांव के दालान तक में पंचायत चुनाव की चर्चा चल रही है…

      नालंदा दर्पण डेस्क। एक तरफ चंडी प्रखंड के गांवों में  होली की खुमारी अब उतरने लगी है तो दूसरी तरफ पंचायत चुनाव को लेकर गांव-गांव में सियासत का रंग बिखरने लगा है।

      हालांकि पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी नहीं हुआ है। फिर भी मैदान में आने वाले उम्मीदवारों ने मोबाइल क्रांति के माध्यम से पहले ही इसकी सूचना लोगों तक पहुंचा दी है। भले ही उनका समाज सेवा से दूर दूर तक संबंध न‌ रहा हो, लेकिन वे सोशल मीडिया पर समाजसेवी बने हुए है।  लेकिन इंतजार उनके मैदान में आने का है।

      होली के पहले तक चंडी प्रखंड मुख्यालय ग्रामीण नेताओं की चहल-पहल से गुलजार रहता था। जो ग्रामीण नेता अब तक मुख्यालयों में दिन भर दिखाई देते थे। वे अब मुख्यालय में बहुत कम या नहीं के बराबर आने लगें हैं। अपना पूरा समय ग्रामीण क्षेत्रों में बिताने लगे हैं। अपने पक्ष में अभी से माहौल बना लेना चाह रहे हैं।

      वैसे चंडी प्रखंड में त्रि-स्तरीय पंचायत को लेकर माहौल बनने लगा है। लेकिन इस बार प्रखंड के लोगों की सबसे ज्यादा नजर जिला परिषद के चुनाव पर रहेंगी। वो भी प्रखंड के पश्चिमी निर्वाचन क्षेत्र पर। जहां चुनाव मैदान में प्रत्याशियों के आने की होड़ मची हुई है।

      2016 पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। कई दिग्गज अपनी पत्नी को सियासी पिच पर बल्लेबाजी के लिए उतार रहे हैं। परिदृश्य भी धीरे-धीरे साफ हो रहा है। पुराने दिग्गजों को नये चेहरे मैदान में उतरते हुए टक्कर देंगे।

      पंचायत चुनाव की तैयारी और उसकी सुगबुगाहट दिखने लगीं है। भले ही त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा नहीं हुई है। लेकिन उम्मीदवार चुनाव मैदान में आने को बेताब है। उनका जनसंपर्क चल रहा है।

      त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के माध्यम से मुखिया, पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव होने वाले है। वैसे मुखिया गांव का वह राजनीतिक शख्ख माना जाता है। कई जन कल्याणकारी योजनाएं पंचायतों के बगैर चल नहीं पाती है।

      लेकिन इस बार चंडी प्रखंड में सबकी नजरें जिला परिषद सीट पर टिकी हुई है। जहां से सीधे जिले की राजनीति में महत्व बढ़ता है। इस बड़े मौके को अब हर ग्रामीण नेता भुनाने के लिए आगे आ रहे हैं। फिलहाल यहां से वर्तमान सदस्य अनिता सिन्हा हैं, जो दिग्गज पूर्व मुखिया चंद्र भूषण प्रसाद की पत्नी हैं।

      चंडी पश्चिमी जिला परिषद सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इसलिए ग्रामीण नेताओं ने अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारियां शुरू कर दी है। बजाप्ता सोशल मीडिया के माध्यम से इसका प्रचार प्रसार भी जोर-शोर से शुरू कर चुके हैं।

      महाशिवरात्रि से लेकर बिहार दिवस और होली तक की शुभकामनाएं सोशल मीडिया पर अपने क्षेत्र की जनता को दे रहे हैं। भले ही चेहरा महिला सीट होने से उनका रहेगा। लेकिन पर्दे के पीछे रहकर सारा काम पुरुष ही करेंगे। यहीं अब तक होता आया है। आगे भी इसी तरह से मैदानी राजनीति को चलाने की तैयारी जोरों पर है।

      चंडी प्रखंड के पश्चिमी जिला परिषद से इस बार दिग्गजों के घरों से उम्मीदवार निकलकर आ रहे है। वर्तमान सदस्य अनिता सिन्हा फिर से चुनाव मैदान में हैं तो वहीं इस बार कई महारथी की पत्नी भी मैदान में होगी, जिनमें हरनौत विधानसभा से कांग्रेस की उम्मीदवार रह चुकी और पूर्व प्रमुख डॉ वसुंधरा कुमारी भी मैदान में आ रही हैं। वह चंडी प्रखंड के दिग्गज मुखिया रहे दिनेश कुमार की पत्नी हैं।

      वहीं चंडी प्रखंड के जाने-माने समाजसेवी और जेपी आंदोलनकारी सुखदेव प्रसाद के भतीजे शंभू कुमार की पत्नी निशू कुमारी लगातार तीसरी बार चुनाव मैदान में आ रही है। लेकिन इस बार सबसे नया चेहरा मैदान में आ रहा है वो है जिले के संवेदक प्रेम कुमार सिन्हा की पत्नी पिंकी कुमारी।

      भले ही त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव दलीय आधार पर न हो लेकिन जिला परिषद सदस्य के जितने भी उम्मीदवार अभी तक पर्दे पर दिख रहें हैं, वे सभी अपना कद  सत्ताधारी जदयू खेमे में एक रसूखदार नेता की रखतें हैं।

      इनके अलावा कई पुराने दिग्गज भी चुनाव मैदान में होंगे, जो फिलहाल सामने नहीं आ रहें हैं। दिग्गजों की पत्नी चुनाव मैदान में आ रही है, जिससे मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है‌।

      ऐसी भी चर्चा है कि इस बार जो भी जीतें उनकी दावेदारी जिला परिषद अध्यक्ष पर रहेंगी। पूर्व जिलाध्यक्ष मंजू सिन्हा भी चंडी पश्चिमी से जीतकर जिला परिषद अध्यक्ष बनीं थीं।

      ऐसा भी कहा जाता है कि अगर उपचुनाव के पहले अनिता सिन्हा मैदान में होती और चुनाव जीत जाती तो वह तनूजा कुमारी की जगह जिले की अध्यक्ष होती। शायद इसी भूल को सुधारने में लगें हुए हैं चंडी पश्चिमी के दिग्गज ।

      फिलहाल, पंचायत चुनाव में अभी देरी है। वैसे भी चंडी पश्चिमी को परिसीमन से जूझना है। इसके बाद ही तस्वीर साफ होगी कि यह परिसीमन किसको नफा-नुकसान पहुंचाता है।

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