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अब बिहार के स्कूलों में HM तय करेंगे MDM की मॉडल टाइम टेबल

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Now HM will decide the model time table of MDM in all the schools of Bihar
Now HM will decide the model time table of MDM in Bihar schools

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग के अंतर्गत मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय के निदेशक विनायक मिश्र ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (DPO) को एक महत्वपूर्ण पत्र जारी किया है। इस पत्र में सभी सरकारी स्कूलों के लिए मॉडल समय-सारणी (टाइम टेबल) के अनुपालन का निर्देश दिया गया है। ताकि स्कूल की गतिविधियों को सुव्यवस्थित रूप से संचालित किया जा सके।

निदेशक ने पत्र में स्पष्ट किया है कि सरकारी स्कूलों को पूर्व में ही एक मॉडल समय-सारणी प्रदान की जा चुकी है। इसके तहत सभी गतिविधियों का संचालन किया जाना है। इस समय-सारणी में दोपहर 12:00 बजे से 12:40 बजे तक मध्याह्न भोजन और मध्यान्तर की अवधि तय की गई है।

हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों और स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रधानाध्यापकों को लचीलापन दिया गया है कि वे अपने स्कूल के बच्चों को मध्याह्न भोजन देने के लिए आवश्यकतानुसार समय का निर्धारण कर सकते हैं।

पत्र में यह भी निर्देश दिया गया है कि रसोइया-सह-सहायक की सहायता से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण मध्याह्न भोजन सुनिश्चित किया जाए। बच्चों की संख्या अधिक होने पर वर्गवार अलग-अलग समय सारणी बनाकर उन्हें भोजन उपलब्ध कराना होगा। यह कदम बच्चों की भीड़ को नियंत्रित करने और उन्हें व्यवस्थित रूप से भोजन देने के उद्देश्य से उठाया गया है।

निदेशक ने यह भी कहा कि स्कूल परिसर, कक्षाएँ, रसोईघर और शौचालय जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं की साफ-सफाई का नियमित निरीक्षण करना प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी होगी। स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। ताकि छात्रों को एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में शिक्षा और भोजन की सुविधा मिल सके।

स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार प्रधानाध्यापक मध्याह्न भोजन की समय सारणी में आवश्यकतानुसार बदलाव कर सकते हैं। इस निर्देश को सभी प्रधानाध्यापकों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी की होगी। ताकि इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जा सके।

इस नई व्यवस्था का उद्देश्य सरकारी स्कूलों में न केवल बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करना है। बल्कि स्कूलों में अनुशासन और स्वच्छता को भी प्राथमिकता देना है। यह कदम सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक और सहायक गतिविधियों को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

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