चंडी (नालंदा दर्पण)। नालंदा के चंडी में स्थापित बिहार का एकलौता सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल से अनुदान पर अब हाईब्रिड वेरायटी की सब्जी के पौधे नहीं मिलेंगे। वे सिर्फ चार विदेशी प्रभेदों की सब्जी के पौधे ही यहां से किसान अनुदान पर ले सकते हैं।
इस बार सब्जी विकास योजना में देसी को हटाकर सिर्फ 10 लाख विदेशी वेरायटी के सब्जी पौधों का ही वितरण किया जाना है। इनमें ब्रोकली, कलर शिमला मिर्च (ग्रीन, रेड व एलो), बीज रहित खीरा और बीज रहित बैंगन शामिल हैं।
जबकि रबी सीजन में फूलगोभी, पत्तागोभी, प्याज और आलू (चिप्सोना) तो गरमा सीजन में बैंगन, मिर्च व लॉकी के बीज ले सकते हैं। वे सब्जी की देसी वेरायटी के बीज ले सकते हैं। नर्सरी में सब्जी के पौधे तैयार किये जा रहे हैं। अब तक साढ़े लाख पौधों की मांग किसानों ने की है। 15 नवंबर से पौधों की आपूर्ति शुरू हो जाएगी।
देसी वेरायटी के लिए खुद करनी होगी नर्सरी तैयारः सीओई से विभिन्न प्रभेदों के पौधे मिलने के कारण किसान सब्जियों की अगात खेती करते थे। खुद नर्सरी तैयार करने में लगने वाला समय की बचत होती थी।
ऐसे में उत्पादों को महंगे दाम में बेचते थे अच्छी बात यह भी कि यहां तैयार पौधे अपेक्षाकृत निये होते थे। अब नियमों में बदलाव कर देने से सिर्फ विदेशी प्रभेदों के ही अगात खेती किसान कर सकेंगे। देसी वेरायटी के लिए खुद नर्सरी तैयार करनी होगी। पौधे और बीज पर 75 फीसद अनुदान दिया जाएगा।
ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अब तक चयनित जिलों से करीब साढ़े चार लाख विदेशी सब्जी के पौधों की मांग किसानों द्वारा की गयी है। एक पौधे की लागत 10 रुपए आती है।
क्लस्टर खेती: नियमों में बदलाव के अनुसार अब किसानों को क्लस्टर बनाकर सब्जी की खेती करनी होगी। शर्त यह भी कि कम से कम 25 सौ पौधों की मांग करने पर ही आवेदन ऑनलाइन स्वीकृत किये जाएंगे। जबकि, पिछले साल तक कम से 50 पौधे की डिमांड करने वाले किसानों के भी आवेदन स्वीकार कर लिये जाते थे।
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