राजगीर (नालंदा दर्पण)। राजगीर अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने ऐसे सभी सरकारी जमीन, जिसकी जमाबंदी निजी व्यक्ति या गैरसरकारी संस्था के नाम पर कायम कर दी गई है, उसकी जमाबंदी कायम करने वाले तत्कालीन एवं वर्तमान राजस्व कर्मचारी, अंचल निरीक्षक आदि सरकारी कर्मियो को चिन्हित कर उनके विरूद्ध निकटवर्ती पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश अंचलाधिकारी को दिया है।
साथ ही 15 दिनों के अंदर वैसे सभी सरकारी जमीन जिसकी जमाबंदी गलत तरीके से निजी व्यक्ति / रैयत / गैरसरकारी संस्था के नाम पर कायम कर दी गयी है, उसकी जमाबंदी रदद करने हेतु सक्षम प्राधिकार अपर समाहर्ता, नालन्दा के न्यायालय मे वाद दायर करने का निर्देश भी दिया है।
बिचली कुआं, राजगीर निवासी पुरूषोतम प्रसाद ने राजस्व कर्मी के माध्यम से सता संरक्षित प्रभावशाली लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाने हेतु लोक भूमि से संबंधित दस्तावेजों में की हेराफेरी के संबंध में अनन्य संख्या-999980129092012389 दायर की थी।
उसी मामले में राजगीर अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा जारी अंतिम आदेश में लिखा है कि प्राप्त प्रतिवेदन एवं संलग्न परिवाद के अवलोकन से स्पष्ट है कि यह वाद परिवादी पुरूषोत्म प्रसाद ने राजस्व कर्मी के माध्यम से सत्ता संरक्षित प्रभावशाली लोगो को अनुचित लाभ पहुंचान हेतु लोक भूमि से संबंधित दस्तावेजों में अदल बदल कराये जाने के संबंध मे दायर किया है।
सुनवाई के क्रम मे इस बावत पृच्छा किये जाने पर परिवादी के द्वारा, परिवाद का संबंध, अंचल कार्यालय के सहयोग से गलत तरीके से सरकारी भूमि (गैरमजरूआ आम, मालिक, ठीकेदार) की जमाबंदी निजी प्रभावशाली लोगो के नाम पर कायम कर NIC के बेवसाईट पर अपलोड किये जाने से बताया।
साथ में यह भी प्रतिवेदित किया कि उक्त सरकारी भूमि को अंचल कार्यालय, राजगीर के द्वारा गलत तरीके से रैयतीकरण का प्रस्ताव भी उपर के प्राधिकार के समक्ष बढ़ाया जा रहा है।
लोक प्राधिकार ने अपने प्रतिवेदन मे परिवादी के द्वारा लगाये गये अरोपो को गलत बताया तथा राजगीर जैसे महत्वपूर्ण स्थल पर महत्वपूर्ण परियोजनाओ के लिए भूमि चयन हेतु आरोपी राजस्व कर्मचारी सुधीर कुमार, जो कि अंचल अस्थावां मे पदस्थापित है, उसके राजगीर अंचल मे पदस्थापन/प्रतिनियुक्ति को सही एवं बेदाग बतलाया।
लोक प्राधिकार ने अपने प्रतिवेदन मे परिवादी के इस आरोप को जिला पदाधिकारी, नालन्दा द्वारा जनता एवं सरकार को धोखे में रखकर अनुचित लाभ पहुंचाने हेतु लोक भूमि से संबंधित दस्तावेज मे फेरबदल करा रहे है, उसेआधारहीन बताया, क्योंकि परिवादी के द्वारा इस संबंध में किसी प्रकार का साक्ष्य समर्पित नहीं किया गया है।
सुनवाई के क्रम मे परिवादी पुरूषोत्म प्रसाद ने इस संबंध मे लोक प्राधिकार के प्रतिवेदन से असहमति जताते हुए इस संबंध मे परिवाद की अन्नय सं0 999990128011956133 /1A दिनांक 22.06.2019 मे अपर समाहर्ता सह जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, नालन्दा द्वारा पारित अंतिम आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें परिवादी के अनुसार अपर समाहर्ता सह जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, नालन्दा द्वारा सरकारी भूमि पर कुल 415 व्यक्तियो की कायम निजी जमाबंदी पर लगान रसीद निर्गत करने पर रोक लगाने एवं संबंधित व्यक्तियो को नोटिस निर्गत किये जाने का आदेश दिया गया है।
परिवाद के अवलोकन, लोक प्राधिकार के प्रतिवेदन के अध्ययन तथा सुनवाई के क्रम मे परिवादी से की गई पृच्छा से स्पष्ट है कि यह पुरा मामला राजगीर अंचल स्थित गैरमजरूआ आम, मालिक एवं ठीकेदार इत्यादि जैसे सरकारी भूमि पर अंचल कार्यालय, राजगीर के द्वारा दबाव एवं प्रभाव मे आकर गलत तरीके से उक्त सरकारी जमीन की जमाबंदी निजी व्यक्ति के नाम पर कायम किये जाने से संबंधित है।
सुनवाई के क्रम मे अनुपस्थित लोक प्राधिकार सह अंचल अधिकारी, राजगीर (जिला में अपर समाहर्ता, नालन्दा की बैठक मे भाग लेने के कारण उनके प्रतिनिधि उपस्थित है) से उनके मोबाईल फोन पर संपर्क करने पर उनके द्वारा भी यह स्वीकार किया गया कि कई सारे सरकारी जमीन की जमाबंदी निजी व्यक्ति / रैयत के नाम पर कायम कर दी गई है, जो सम्प्रति जॉच के क्रम में है।
अंतिस आदेश के अनुसार चूकि अंचल स्तर पर सरकारी जमीन के संरक्षक अंचल अधिकारी होते है, और जब मामला उनके संज्ञान मे आ चूका है तो उन्हें सख्त निदेश दिया जाता है कि ऐसे सभी सरकारी जमीन (खतियान के अनुसार ) जिसकी जमाबंदी निजी व्यक्ति / रैयत / गैरसरकारी संस्था के नाम पर कायम कर दी गई है, तत्काल वैसी जमीन की लगान रसीद निर्गत करने पर रोक लगाये, जमाबंदी कायम करने वाले तत्कालीन एवं वर्तमान राजस्व कर्मचारी, अंचल निरीक्षक इत्यादि सरकारी कर्मियो को चिन्हित कर उनके विरूद्ध निकटवर्ती पुलिस थाने मे प्राथमिकी दर्ज कराये तथा 15 (पद्रंह) दिनो के अंदर वैसे सभी सरकारी जमीन जिसकी जमाबंदी गलत तरीके से निजी व्यक्ति / रैयत / गैरसरकारी संस्था के नाम पर कायम कर दी गयी है, की जमाबंदी रदद करने हेतु सक्षम प्राधिकार अपर समाहर्ता, नालन्दा के न्यायालय मे वाद दायर करे।
परिवादी इस आदेश से संतुष्ट हुए। उनकी संतुष्टि के आलोक मे वाद की कार्यवाही समाप्त की जाती है।