नालंदा दर्पण/ नालंदा ब्यूरो। केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार 18 जनवरी से 17 फरवरी तक सड़क सुरक्षा माह मनाया जा रहा है। इस अभियान के तहत सिर्फ दोपहिया वाहनों पर जांच के नाम पर गाज गिर रही है तथा बड़े पैमाने पर जुर्माना वसूल कर सरकारी खजाना को भरा जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर यात्रियों के जान को जोखिम में डाल बिहारशरीफ से कोलकाता बस चल रही है । इसे देखने वाला कोई नहीं है।
बिहारशरीफ से प्रतिदिन दर्जनों बसें कोलकाता को जाती है तथा वहां से बिहारशरीफ लौटती। यह बस बिहारशरीफ से खुलकर झारखंड होते हुए कोलकाता जाती हैं । कहने को तो यह यात्री बस है ।परंतु इन बसों से यात्री यात्रा तो करते हैं ।साथ ही साथ नीचे से ऊपर तक सामान लदा हुआ रहता है।
सामान भी छत पर डेढ़ फीट ऊंचा पूरे छत पर फैला रहता है। इन बसों में हार्डवेयर से लेकर गारमेंट का सामान भरा रहता है।
इसके साथ ही बस की डिक्की में भी भरपूर सामान भरा रहता है। यह बस लूप लाइन से नहीं। बल्कि नेशनल हाईवे से कोलकाता के लिए खुलती है तथा कोलकाता से बिहारशरीफ वापस आती हैं । परंतु इन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं है ।
बताया जाता है कि थाना से लेकर परिवहन विभाग के अफसरों तक बंधी बंधाई रकम पहुंचती है।
मुख्त: बसों का डिजाइन यात्रियों को ढोने के लिए बनाया जाता है। ताकि यात्री आराम से सुरक्षित अपने गंतव्य की ओर पहुंच जाएं। लेकिन बस मालिक कमाई के चक्कर में बस को माल ढोने का एक जरिया बना लिया है।
बताया जाता है कि बस के छत का वजन 2-3 पाइप के सहारे टिका हुआ रहता है ।इसके बावजूद बस मालिक बसों पर ओवरलोड सामान ढोते हैं।
बस चालक यात्रियों को जान जोखिम में तो डालते ही हैं ।तो दूसरी ओर बिना टैक्स का समान ढोते हैं तथा सरकार को भी चूना लगा रहे हैं।
जिला प्रशासन का सिर्फ सड़क सुरक्षा के नाम पर दो पहिया वाहनों की चेकिंग जिले के दर्जनों स्थान पर करवाई जा रही है। मोटी मोटी रकम वसूली हो रही है।
वाहन चेकिंग अफसर-कर्मियों की एक ही मनंसा होती है कि अधिक से अधिक जुर्माना वसूल कर अपनी झोली भरने के साथ प्रशासन-सरकार की नजरों में नंबर वन जाए।
वहीं, दूसरी ओर प्रतिदिन सालों भर बिहार से कोलकाता बस सेवा चालू रहती है। बस की छतों पर बिना रोक टोक भर भर कर सामान ढोया जाता है। लेकिन आज तक इन पर प्रशासन की करवाई नहीं होती है।
बस में ऊपर सामान लोड होने के कारण बसों के संतुलन बिगड़ने से कई बार भयंकर दुर्घटना भी हो चुका है। लेकिन प्रशासन की नींद नहीं खुलती है।
क्या, डीएम और एसपी साहब इस सड़क सुरक्षा माह के दौरान इन बसों पर भी करवाई होगी या यात्रियों के जान जोखिम में डाल, ये बसें निर्वाध रूप से यात्रियों को लेकर कोलकाता या सुदूर शहरों से आती जाती रहेगी?