Home दीपनगर पुलिस-प्रशासन की सांठगांठ से यूं जारी है यहां कोयला माफियाओं का राज

पुलिस-प्रशासन की सांठगांठ से यूं जारी है यहां कोयला माफियाओं का राज

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नालंदा दर्पण डेस्क।  झारखंड से जुड़े कोल माफियाओं का राज सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा तक निर्बाध चलता है। चले भी क्यों नहीं? कोयला के काली कमाई में सब संलिप्त जो ठहरे।

coal mafiya nalanda pawapuri giriyak deep nagar police gang 1नालंदा जिला का गिरियक-पावापुरी-दीपनगर थाना क्षेत्र कोयला के अवैध कारोबार का सेफ जोन माना जाता है। यहां पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से सब खेल खुलेआम होता है। इधर कोरोना लॉकडाउन में यह काला धंधा काफी बढ़ा दिख रहा है।  

बहरहाल, यह ताजा तस्वीर दीपनगर थाना के विजवनपर और पावापुरी राईफल मोड़ की है। आप देख सकते हैं कि किस तरह बड़े पैमाने पर सब कुछ हो रहा है। अभी दीप नगर थाना प्रभारी शेर सिंह यादव और पावापुरी ओपी प्रभारी प्रभा कुमारी हैं।

विजवनपर और राईफल मोड़ दोनों स्थान पंचाने नदी के किनारे अवस्थित है। यहां झारखंड के विभिन्न हिस्सों से कोल माफिया भारी मात्रा में कच्चा कोयला डंप ही नहीं करते, बल्कि उसे वहीं पका कर नालंदा-नवादा-पटना-गया-जहानाबाद के लिंक्ड सप्लाई की जाती है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार इस गोरखधंधा की जानकारी थाना पुलिस-प्रशासन की खुली सांठ-गांठ है। अवैध हिस्सेदारी है। कोयला पकाई से होने वाले प्रदुषण और आसपास के लोगों को होने वाले स्वास्थ्य के नुकसान की चिंता भी शासन-तंत्र के नुमाइंदो को नहीं है। जबकि इससे लोगों का जीना दुश्वार हो गया है।

अगर विभागीय सूत्रों की बात करें तो उक्त दोनों थाना में, खासकर पावापुरी थाना प्रभारी के पदास्थापन और विस्थापन में कोयला के अवैध कारोबार से जुड़े लोगों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

इस थाना का इसी कारण रेट हाई बताया जाता है। सूचना देने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। उल्टे सूचक ही उत्पीड़ित हो जाता है। कई बार इसकी शिकायत वरीय अफसरों से की गई…., लेकिन कार्रवाई सिफर। वही पुराने ढाक के तीन पात। यानि इस काली कमाई का हिस्सा उपर तक जाती है?

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