एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (रंजीत)। नालंदा जिले के बेन प्रखंड क्षेत्र में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना का क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष एवं सचिव के द्वारा हर घर नल जल गली नली का कार्य किया जाना था, लेकिन अभी तक कई वार्ड ऐसे है जिस वार्ड में सात निश्चय का कार्य शुरू होना तो दूर की बात है, जनता को पीने के लिए पानी भी मयस्सर नहीं है।
बीते दिनों एकसारा पंचायत के वार्ड नंबर 4, 5, 6 में पानी की समस्या इतना ज्यादा थी कि महादलित बस्ती के लोगों ने अपने अपने बर्तन को लेकर गांव में खाक छान रहे हैं।
दुर्भाग्यवश मात्र मुखिया प्रतिमा देवी के घर समर सेबुल बोरिंग गड़ा था, लेकिन वह भी मोटर जल जाने के कारण बंद था, इससे तीनों वार्ड के लोग पानी पीने को लालायित हैं।
लेकिन मुखिया ने वार्ड के ग्रामीणों के समस्या को देखते हुए अपने मोटर को मरम्मत करवाकर तीनों वार्ड के जनता को पानी मुहैया कराने में मदद किया, महिला मुखिया होने के नाते पंचायत के लोगों को पानी की सुविधा दिलाना एक मिसाल है, जिससे लोगों ने मुखिया की खुलकर तारीफ की।
पूरे 3 वार्ड में महादलित बस्ती होने के कारण भी एक भी वार्ड मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना मे चयन आज तक नहीं हो सका, जबकि सबसे पहला वार्ड का चयन महादलित बस्ती को ही होना था।
लेकिन पदाधिकारी एवं कर्मचारियों के लापरवाही के कारण यह वार्ड आज तक चयन नहीं हो सका, जबकि प्रत्येक प्रखंड में लगभग वार्ड का चयन हो गया है।
जब मुखिया प्रतिमा देवी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि यह तीनों वार्ड पीएचईडी के अधीन दिया गया है, जो बोरिंग करा कर वार्ड को नल जल से मुक्ति दिलाएगा।
लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी पानी की समस्या पीएचइडी द्वारा नहीं किया गया। इससे वार्ड के ग्रामीण पदाधिकारियों को कोस रहे हैं।
इस समस्या को दूर करने के लिए जिलाधिकारी ने प्रत्येक प्रखंड में औचक निरीक्षण कर समस्या जुड़े सवाल को जांच करने का जिम्मा जिले के वरीय पदाधिकारी को दिया गया था, इस जिम्मे का पालन बखूबी वरीय पदाधिकारी सत्येंद्र प्रसाद ने करते हुए प्रखंड का औचक निरीक्षण किया।
लेकिन पानी की समस्या को वरीय पदाधिकारी भी निपटा नहीं सके और न इस समस्या के बारे में कोई प्रखंड के पदाधिकारी ने बताया। कई वार्डों में नल जल के लिए बोरिंग कराया गया। फिर भी हर घर नल जल नहीं पहुंच सका।
बोरिंग तो हुआ, लेकिन सिर्फ पाइप डालकर उसे बोर से झांक दिया गया। प्रखंड से जुड़े पदाधिकारी हर ग्राम का निरीक्षण तो करते हैं, लेकिन बोरे से ढके बोरिंग पर नजर नहीं जाता है और जिले को बखूबी रिपोर्ट भेज दिया जाता है। जिसका जिले के अधिकारी भी अमलीजामा पहनाने में लगे रहते है।
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