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    Thursday, April 18, 2024
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      थरथरी थानेदारः रिश्वतखोर, बिचौलिया या जज?

      “अब पुलिस की नौकरी कोई सेवा, समर्पण, लिप्सा रहित नहीं रह गई है। प्रायः उनमें अधिक से अधिक काली कमाई करने की होड़ मच गई है। सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में  कतिपय पुलिस कर्मियों का तो कोई सानी नहीं है। उनके बीबी-बच्चे सरकारी वेतनादि से पलते नहीं दिख रहे हैं। वे पटना जीरो माइल के पास करोड़ों की जमीन नहीं खरीद रहे हैं, अपितु सबकुछ हो रहा है ऐसी जलील कमाई से, जो अंदर तक झकझोर जाती है…

      नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिले के थरथरी थाना के एक कथित मुंशी की एक ऑडियो वायरल हुई। उससे साफ है कि एक निहायत गरीब आदमी से 10 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की गई।  जिसमें पीड़ित द्वारा 7 हजार रुपए सूद पर लेकर दिए गए। लेकिन मामला 3 हजार को लेकर फंस गया। जाहिर है एक लॉकडाउन में लाचार गरीब मजदूर कहां से लाकर पैसे देता।

      दरअसल, विगत 26 जून को थरथरी बाजार निवासी जगदीश पासवान के पुत्र दिलीप कुमार का पड़ोस के एक मुस्लिम परिवार से विवाद हो गया। यह विवाद दोनों पक्षों के बीच बाताबाती और गाली गलौज तक सिमित रही और विवाद के दौरान ही थरथरी पुलिस की गश्ती दल आई और दोनो पक्षों के लोगों को थाना ले आई।

      लेकिन, एक पक्ष को पुलिस ने किस सफेदपोश की पैरवी या पैसा के बल पर यूं ही छोड़ दिया, राम जाने। लेकिन कमजोर को थानेदार रंजीत प्रसाद एव मुंशी ने दीपिप पासवान, उसके भाई, उसकी पत्नी और उसकी मां को हाजत में बंद कर दिया और पुलिसिया गाली-गलौज के अंदाज में 10 हजार रुपए की मांग की और नहीं देने पर मनमानी धाराएं लगाकर जेल भेजने की धमकी दी।

      इसके बाद डरी-सहमी दिलीप की पत्नी ने किसी तरह एक महाजन से सूद पर 7 हजार रुपए लाकर थानेदार के हाथ में दिया और 3 हजार रुपए जल्द ही व्यवस्था कर देने की बात कहीं। इसके बाद हाजत में बंद सभी लोगों को समझौता होने की बात कहकर छोड़ दिया गया।

      कहते हैं कि इसके बाद 28 मई को थरथरी बाजार पर थानेदार खुद खड़ा होकर मुंशी के जरिए बाकी 3 हजार रुपए लाने को कहा। लेकिन दिलीप ने पैसे का इंतजाम नहीं होने की बात कह लौटा दिया। उसके बाद थानेदार-मुंशी आगबबूला हो उठे और जातिसूचक गालियां देते हुए जेल भेजने की धमकी देते हुए वापस लौट आए।

      इसी बाद मुंशी फोन कर पैसा पहुंचाने का दबाव बनाने लगा तो दिलीप ने उस बातचीत का ऑडियो वायरल कर दिया। बात जब स्थानीय मीडिया में उठी तो थानेदार ने घटना के 4 दिन बाद 30 मई को दूसरे पक्ष के व्यक्ति से एक बनाबटी शिकायत लिखवा कर प्रथम पक्ष पर गंभीर धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर दिया।

      जहां तक दोनों पक्षों के बीच विवाद का प्रश्न है तो जानकारों के अनुसार यह आपसी रंजिश एक शौचालय को लेकर है। दीलिप पासवान के घर से सटे एक मुस्लिम परिवार का एक शौचालय बना हुआ है।

      जबकि उस मुस्लिम परिवार का घर शौचालय से काफी दूंर सड़क के उस पार है। उसे लेकर दोनों के बीच पहले कभी कोई विवाद नहीं हुआ है। इधर हाल के दिनों में विवाद शुरु हुआ है।

      विवाद का कारण है कि मुस्लिम परिवार रोजाना शौचादि करने उस शौचालय में आता है। उसपर पासवान परिवार का कहना है कि मुस्लिम परिवार के कुछ लोग शौचालय के अंदर के बजाय बाहर ही खुले में शौचादि करते हैं, जिससे उनकी बहु-बेटिंयों को शर्मसार होना पड़ता है।

      26 मई को भी दोनों पक्षों के बीच उसी बात को लेकर विवाद हुआ था। एक पक्ष का कहना था कि शौचालय उसका है। जमीन सरकारी है। उसकी मर्जी है कि वह कहां क्या करें।

      वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि उन्हें शौचालय पर कोई आपत्ति नहीं है। शौचालय के बाहर नंग-धड़ंग शौचादि करना खलता है, उन्हें कमजोर समझ उसके बहु-बेटी के सम्मान का ख्याल नहीं किया जा रहा। पुलिस भी स्वार्थवश दूसरे पक्ष का ही मन बढ़ा रहा है।

      जहां तक शौचालय की बात है तो वह स्वच्छ लोहिया बिहार योजना के तहत बनाई गई है। अब मुखिया, अभिकर्ता और सीओ ने पंचायत भवन से सटे सार्वजनिक (गैरमजरुआ) जमीन पर नीजि शौचालय कैसे बनवा दी और भुगतान हो गया, यह अलग जांच का विषय है।

      विश्वस्त सूत्रों के अनुसार थाना के कथित मुंशी की रिश्वत मांग वाली की ऑडियो वायरल होने के बाद इस मामले की जांच एएसपी अजय कुमार कर रहे हैं।

      जब उनसे इस मामले के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि थानेदार ने अपना कर्तव्य सही नहीं निभाया है। वे मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं। जो भी दोषी होंगे, उनपर कार्रवाई की जाएगी।

      सुनिए वीडियोः क्या कहता है पुलिस से डरा-सहमा पीड़ित दिलीप पासवान…

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