चंडी (रवि कुमार)। जिस तरह से बसंत ऋतु में आम के पेड़ों पर मांजर आये थे, उसे देख किसान अत्यंत प्रसन्न थे। लेकिन बसंत ऋतु के ख़त्म होते ही मार्च महीने से आम के माजंर में अचानक से कमी देखने को मिली। किसान इस बात को समझ पाते कि भवरों, मधुमक्खियों के साथ- साथ एक तरह का कीट मांजर पर आ गए और समय से पहले मांजर जमीन पर सूख कर झड़ने लगे।
जहाँ ये मधुमखी मंजरो को फल बनाने मे सहायक होते हैँ, वहीं दूसरी और ये कीट जिसमें मधुआ कीट और भुनगा कीट शामिल है, वो आम के पत्तों और मंजरो को चूस कर सूखा देती है।
फरवरी के महीने मे ये कीट मौसम के अचानक बदलाव से आ जाते हैँ और आम के पेड़ को काफी नुकसान पहुंचाते हैँ।
नालंदा जिला के हरनौत तथा चण्डी क्षेत्र में आम के प्रायः पेड़ों का यही हाल है। इन कीटों ने आम के पेड़ों पर बड़ा हमला किया है। जिससे इन इलाको मे आमों के मांजर झड़ कर सब ख़त्म हो गए हैँ।
नतीजन, इस बार नजदीकी बाज़ारों मे आम महंगे होने के आसार हैँ। अगर ये प्रकोप पूरे बिहार मे ऐसा ही हुआ हो तो। चंडी प्रखंड के लोगों को आम का स्वाद फीका कर सकता है। उत्पादन कम होने से उनके जेब पर ज्यादा भार पड़ सकता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसान से अपील है कि अपने आम के पेड़ो से कीट का प्रकोप खत्म करने के लिए नजदीकी दुकान में जाकर जल्द से जल्द आम के पत्तों पर अच्छे किस्म से कीटनाशक लाकर छिड़काव करें।