बिहारशरीफ( संजय कुमार)। अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी बिहारशरीफ में एक परिवादी द्वारा दायर फैसले में कहा है की यह अत्यंत खेद का विषय है कि एक न्यायालय के द्वारा पारित अंतिम आदेश के अनुपालन कराने हेतु परिवादी के दूसरे न्यायालय अनुमंडल लोक शिकायत निवारण कार्यालय बिहार शरीफ की शरण लेनी पड़ रही है तथाआदेश के अनुपालन हेतु पुलिस बल की मांग किए जाने के उपरांत भी पुलिस बल न तो अनुमंडल प्रशासन द्वारा उपलब्ध करवाया गया और न ही पुलिस प्रशासन के द्वारा।
बताया जाता है कि रंजीत कुमार ,पिता:- स्वर्गीय कामेश्वर सिंह, मोहल्ला:- खंदक पर, थाना :-बिहारशरीफ ने बिहारशरीफ के अनुमंडल दंडाधिकारी के न्यायालय में संबंधित बी.बी.सी. वाद संख्या 3 /2018 में पारित अंतिम आदेश का अनुपालन अंचल अधिकारी एवं लहेरी थाना के द्वारा नहीं किए जाने के संबंध में एक परिवाद दायर किया था।
प्राधिकार ने अपने फैसले में कहा है कि अभिलेख एवं परिवाद के अवलोकन से स्पष्ट है कि समान परिवार के द्वारा परिवार की अन्याय संख्या527110316091900118 के माध्यम से सामान विषय वस्तु पर पूर्व में भी परिवाद दायर किया गया था ।जिस पर सुनवाई करते हुए दिनांक 2-12-2019 अंतिम आदेश पारित किया गया था।
लोक प्राधिकार के अधतन प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि दिनांक 5-12-2020 की तिथि दुकान का ताला खुलवाने हेतु रखी गई थी। परंतु परिवादी के द्वारा इसी बीच में लहेरी थाना कांड 501/2020 दिनांक 1-12-2020 की तिथि पर भारतीय दंड विधान की धारा461/379 के तहत के दुकान सह मकान मालिक के विरुद्ध सामान की चोरी करवाए जाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करा दिया गया है।
पदाधिकारी ने लिखा है कि यह खेद जनक स्थिति है कि बार-बार मांग किए जाने के बावजूद भी अनुमंडल पदाधिकारी बिहारशरीफ के द्वारा नियुक्त लोक प्राधिकार, अंचल अधिकारी बिहार को पुलिस बल उपलब्ध नहीं कराया गया ।
अंचल एवं अनुमंडल स्तर के पदाधिकारी के द्वारा लोक शिकायत निवारण कानून के प्रति बढ़ती गई चिंता के प्रकट करने के साथ-साथ अनुमंडल दंडाधिकारी के न्यायालय के द्वारा पारित अंतिम आदेश की अवहेलना / अवमानना को भी स्पष्ट करता है ।
सुनवाई के क्रम में उपस्थित परिवादी ने रोते हुए लोक प्राधिकार सह अंचल अधिकारी बिहारशरीफ के प्रतिवेदन से असहमति जताते हुए सजिशन मकान मालिक सह दुकान मालिक से मिलीभगत कर उनके व्यवसायिक जीवन को बर्बाद करने तथा अनुमंडल दंडाधिकारी न्यायालय के द्वारा माह मई 2019 में ही वाद संख्या3/2018 के पारित अंतिम आदेश के अनुपालन में येन-केन-प्रकारेण कर विपक्षी के पक्ष में काम करने का आरोप लगा है।
प्राधिकार ने अपने फैसले के अंत में लिखा है कि दायर परिवाद एवं इस पर लोक प्राधिकार का कृत कार्रवाई प्रतिवेदन लाल फीताशाही तथा लेट लतीफी का सुंदर उदाहरण है। ऐसे में लोक प्राधिकार, अंचल अधिकारी बिहारशरीफ तथा अनुमंडल पदाधिकारी, बिहारशरीफ के विरुद्ध पूर्ण अर्थ दंड की अनुशंसा करते हुए परिवादी रंजीत कुमार को इस पारित आदेश के 30 दिनों के अंदर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी नालंदा के समक्ष अपील दायर करने का सुझाव देते हुए वाद की कार्यवाही समाप्त की जाती है।