“सरकारी सुविधा, सहायता, प्रोत्साहन के मोहताज मगही पान की फसल पर आश्रित किसानों के उपर इस बार भारी मुसीबत की आंधी-पानी आई है। कई घरों में चूल्हा भी नहीं जले हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि इस कोरोना काल में वे क्यो करें। पलायन के रास्ते भी नहीं हैं….
इस्लामपुर (नालंदा दर्पण)। समूचे देश में बिहार के नालंदा जिले के इसलामपुर प्रखंड क्षेत्र मगही पान उत्पादन के लिए सदियों से शुमार रहा है। लेकिन अब वह दिन दूर नहीं कि लोग इसका नाम भी भूल जाएं। क्योंकि इसके उत्पादक किसान निरंतर आपदाओं से त्रस्त हो चुके हैं। बिल्कुल पस्त हो चुके हैं।
बता दें कि इस प्रखंड क्षेत्र में मुख्यतः अर्जुन सेरथुआ, डौरा, वौरीसराय, कोचरा, बैरा, मैदीकला, मदुद समेत लगभग एक दर्जन गांवो में सदियों से बहुतेरे किसान मगही पान की खेती करते आ रहे हैं। इन हजारों किसानों के परिवारों के भरन पोषण एक मात्र जरिया यही रही है।
बीते 3 मई को जिले में आई अचानक आंधी-पानी ने पान किसानों की कमर पूरी तरह से तोडकर रख दिया है। मुंह लाल करने के साथ पूजा थाल की शोभा मगही पान की फसल का बर्बादी देख इस बार किसान बिल्कुल बेसुध हो गए हैं। अचानक आई आंधी बारिश से उनके पान का वरेजा गिर गया है। जोकि जमीन पर नहीं उनके करेजा पर प्रहार किया है।
ऐसे बेसुध किसानो ने बताया कि प्राकृतिक के सामने दंश झेलने के लिए वे लोग हमेशा मजबूर रहे हैं। वर्ष 2020 में पान का वरेजा गिर गया था। और उसके बाद रही सही कोविड लॉकडाउन ने पूरी कर दी। उनके खेत से घरों तक ही सारे पान के पत्ते बिक्री-बाजार के आभाव में सड़-गल गए।
उन्होंने बताया कि उससे उबर नही पाए थे कि फिर इस वर्ष भी आई आंधी-पानी में सारे पान वरेजा गिर गए हैं। बड़ी मेहनत-मजदूरी से कर्ज लेकर मगही पान की फसल तैयार किए थे, यह सोचकर कि इस बार फसल अच्छी है और उसे बेचकर महाजन के कर्ज उतार लेगें। लडकी की शादी विवाह आदि कार्य करेंगे। उनके परिवारो का सही से भरण पोषण होगा। लेकिन अब वे सारे सपने टूट गए हैं। समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें।
सरकार से यदि मुअवाजा नहीं मिला तो वे लोग इस पुस्तैनी धंधा को छोडकर कहीं पलायन कर जाएंगे या फिर सपरिवार आत्महत्या करने के आलावे कोई चारा क्या है ?
इधर पान कृषक कल्याण संस्थान के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद चौरसिया, मुखिया बृजनंदन चैरसिया, अशोक चौरसिया, अजय चौरसिया, श्रवण चौरसिया आदि ने यहाँ से पान के पत्ते गया, बनारस, समेत देश कई कई शहरों की मंडियों में ऊंचे कीमत पर बिकते। किसान लोग पान पत्ता तोड़कर बाहर ले जाने की तैयारी मे लगे थे कि लॉकडाउन लग गया। रही सही उम्मीद की लौ अचानक आंधी-बारिश ने बुझा दी। किसानों पर दुख का पहाड़ टूटकर गिर पड़ा है। बचे-खुचे पान के भी कहीं बिकने के आसार नहीं है।
उन्होंने राज्य सरकार से पीड़ित किसानों को तत्काल उचित मुआवजा देने का मांग किया है। ताकि पान किसान अपने परिवार को दो वक्त की रोटी दे सकें और वे अपना पुस्तैनी धंधा छोड़ कर पलायन न कर लें।