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    Friday, March 29, 2024
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      समाजसेवी पूर्व प्रत्याशी मुसाफिर दास की अर्थी को मिला हजारों शुभचिंतकों का कंधा

      मुसाफिर दास के निधन से सिर्फ अरौत गांव ही नहीं, अपितु नालंदा जिले व प्रदेश को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके निधन से इस क्षेत्र ने एक कर्मठ, जुझारू तथा स्पष्टवक्ता व व्यक्तित्व को खो दिया है जिनकी भरपाई करना संभव नहीं है.....

      बिहारशरीफ( संजय कुमार)। चंडी प्रखंड के अरौत ग्राम के निवासी समाजसेवी तथा हरनौत के पूर्व प्रत्याशी मुसाफिर दास का बुधवार रात्रि लगभग 1 बजे अपने घर में हृदयाघात के कारण उनकी मृत्यु हो गई। वे करीब 75 वर्ष के थे।

      उनके निधन की खबर मिलते ही जनप्रतिनिधियों, साहित्यकारों, समाजसेवियों, परिचितों, मित्रों और रिश्तेदारों में शोक छा गया। जिले के कई समाजसेवियों व साहित्यकारों ने उनके आवास पर पहुंचकर शोक संवेदनाएं प्रकट करते हुए निधन पर दुख व्यक्त किया। उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का तांता लग गया। सभी के आंख में आंसू थे।
      साहित्यकारों, समाजसेवियों, परिचितों व इष्ट-मित्रों ने शोकसभा आयोजित कर दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। उनका अंतिम संस्कार राजगीर जापानी मंदिर के बगल में कबीर आश्रम स्थित समाधिस्थ पर कबीर पंथी रीति रिवाज से किया गया।
      मौके पर युवा समाजसेवी और सद्भावना मंच( भारत) के संस्थापक दीपक कुमार ने कहा कि प्रदेश स्तर पर खासकर निम्नवर्ग के लोगों को समाजसेवा के बदौलत उन्होंने काफी योगदान दिया।
      उन्होंने समाज के लोगों को शिक्षा के प्रति हमेशा जागृत किया। वे सरल स्वभाव के धनी होने के साथ साथ मृदुभाषी भी थे। मुसाफिर दास सामाजिक कुरीतियों के प्रति आवाज बुलंद करते थे और प्रेम भाईचारा का पैगाम देते रहे। मुसाफिर दास एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ आध्यात्मिक और राजनैतिक नेता थे।
      वे वर्तमान मे बसपा के प्रदेश सचिव एवं नालंदा के जिला प्रभारी थे। और अखिल भारतीय रविदासिया धर्म संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं कबीर विचार मत के कुशल संवाहक भी थे। बचपन से ही सामाजिक कार्यों में उनका लगाव था। वे एक कुशल समाज सेवक के साथ एक अच्छे मार्गदर्शक भी थे। सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं से उचित सलाह लेते थे।
      समाजसेवी चन्द्रउदय कुमार मुन्ना ने निधन पर शोक जताते हुए कहा कि हमारे गरीब समाज मे शिक्षा की अलख जगाने वाले समाजिक व्यक्ति मुसाफिर दास के निधन होने से अपूर्णीय क्षति हुई है। जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती है। उनके आकस्मिक निधन पर गांव से लेकर शहर तक में शोक की लहर छा गई। बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम सफर के साक्षी बने हैं। गमगीन माहौल में उनका सफर किया गया।
      समाजसेवी राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि मुसाफिर दास के निधन से सिर्फ अरौत गांव ही नहीं, अपितु नालंदा जिले व प्रदेश को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके निधन से इस क्षेत्र ने एक कर्मठ, जुझारू तथा स्पष्टवक्ता व व्यक्तित्व को खो दिया है जिनकी भरपाई करना संभव नहीं है।
      उनकी कर्मठता एवं इमानदारी के बल पर ही आज कई संघ व संस्थान अपनी उचाइंयों को पाने में सफल हो पाया है। अभिवंचितो के संगठन को मजबूत करने में जो योगदान दिया है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता अभिवंचित वर्ग सहित कई अन्य पदों को सुशोभित करने तथा सतत समाज को नई राह दिखाने हेतु प्रयासरत रहनेवाले मुसाफिर दास नालंदा के दिग्गज दलितों के हितेच्छु तथा कासी राम थे। ये हमेशा गरीबों के हितों कि बात करते थे।
      इस मौके पर पूर्व एमएलसी राजू यादव ने उनके निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि मुसाफिर दास हमारे अभिभावक थे। गरीवो के हमदर्द थे। उनके निधन से समाज को गहरी और अपूर्णीय क्षति हुई है।
      मुसाफिर दास के बचपन के साथी, हर कार्यक्रमों में एक साथ बढ़ चढ़कर भाग लेने वाले बलराम दास ने कहा कि उनके निधन के बाद उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा साथी खो दिया है। वे नालंदा के काशीराम के नाम से जाने जाते थे। मुसाफिर दास एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता थे।
      मुसाफिर दास के निधन को सुन उनके पैतृक आवास पर उनके परिजनों को इस दुख की घड़ी में सांत्वना देने वाले लोगों में कौशल कुमार, अविनाश कुमार, रुदल यादव, दुखद मांझी, शंकर दास, सरयुग रविदास, रविदसीया धर्म संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार अजय रविदास, डा. पिन्टू, सुबोध रविदास, सुरेश, संजय दास स्वामी सहजानंद और गणमान्य लोग व स्थानीय समाजसेवी सहित कई स्वर्गीय मुसाफिर दास की अंतिम यात्रा में शामिल हुए।

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