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    Thursday, March 28, 2024
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      गाँउ आवल हियो, बैठ के झाल बजा रहअलियो ह…

      भईया परनाम।

      न पहचानलु। हम विकास।

      बरी दिने से गाँउ आवल हियो। लोकडोनमा मे फंसल हलीयो न। मदरास मे। जयसे-तयसे दीवलिया में पहुंचअलियो ह। खूभे दिक्कत हो रहलो हल हुआँ। कमाय-धमाय सभे बंद हो गेलो हल।

      सोचअलीयो हल कि छठी मईया के परसाद खाके बाहर निकलवो। चुनववा त होवे कयलय। सभे नेतवन त लुझले हलय। सगरो भगदड़ मचल हलो। चचा-भतीजा, भाय-भाउजाई सभे रौंदले हलय।

      हमरा लगलो हल चुनववा बाद सभे बढ़ियां हो जयतय। फेर कमाय-धमाय ला केनहु निकलबो। अब देखहु बदमाशी, चुनववा में सगरो धाउंस देलकय आउ फेर सगरो कोरोनमा के लेके बैठ गेलय ह। पटनमा वाले चचा से लेके डिली वाला चाउधरी सभे चुनववा मे  कहलथीन के कोरोनमा के धमसा देलियय। अब का हो गेलय। हिंया बैठ के झाल बजा रहअलियो ह।

      सोच रहलियो ह के, हिंये कुछो करीयय। बाबूजी के बोलअलीयय ह के कुछो पूंजी-पगहा के जुगाड़ कर दअ। कहअलथीन हअ के धनमा बिके दे, ओकरे मे से कुछो देबू। पैक्सवन वालन अभी न खरीद रहलअ ह। देखहु कब खरीदअ हको। एकनी के कोय देखे वालन हय। सरवन सभे मनमाउजी हको।

      आगे देखहु, बिकला पर, केतना दे हथुन। त बतअयबो के ओतना में काउन सा धंधा-पानी के जोगार करअ हियो। तभे तक गाँउ-जेबार के हाल चाल बतैते रहवो। हमरा हिन्दी लिखे न आवअ हको।

      जे भासा में टो टा के पढ़लियो लिखअलियो ह, ओकरे मे लिखवो। मसटरवन पढ़ैलकय कहां। परायवेट में पढ़े के पयसा न आउ सरकारी असकुलवा में खाली खिचरी मिललो। जे बात समझ में अयतो, समअझिह। जे न अयतो, ओकरा समझ के का करबु।

      आगे का कहियो। जयस हीं सुनलियो कि तू हू छठ में घरे अयलहु हल। का कहियो उ दिनमा रामघाट में अयलु हल, मिले ला जयसही घरे से निकललियो, मईया रोक देलथुन के कहां जा रहली ह रे, रोडवा पर पुलिसवा हाउंक देतु।

      उ त बाबूजी बोललथीन, जाय न रे, पुलिसवा का करतउ। तोरा मारे के ओकरे दम हय। ओकर गड़िया पलट के चूर न देबअय। एक बार चूररीअल हल न। चौकीदरवन सभे मास्के पहन के घुम रहलअ ह।

      दरोगवन सभे त अयसहीं दांत खिसोड़ले रहअ हय। पुलिसवन गमछियो कंधा पर फेकले रहअ हय। मस्कवो के सभे कमाय के जोगाड़ बनैले हय हिंया।

      अछा छोड़। काहे ला ई उमर मे अयसन वयसन करे जांय। ले, ई ले। मिल जयतउ त साउ-पचास ओकरा चटा देमहीं। कुछो न करतउ।

      एही मत्थाठोकी में गिरते परते पहुंचलियो तो पता चललो कि तू चल गेलअ। एगो तोर नबंरो मिललो ह, त हिंया टबरवे न धरअ हको। एही गुनी चिठठी लिख रहलियो ह।

      तू हुआं का करअ हु जी। बाबूजी बता रहलथुल हल कि बड़का समचार निकालअ हु। हिंया भी ढेरो पतरकार हो गेलो ह। कोय बैठल-बैठल सभे के चमकैले-सधैले रहअ हय। तो कोय मोटरसायकल लेके सगरो हिनहिनैले रहअ हको।

      ओकरा बारे में पते न चलअ हको कि उ करअ का हको। कोय बोलअ हको कि उ एगो कोय परायवेट त कोय सरकारी असकुल में पढ़ावअ हय। कोय कहअ हय के, उ नेतागिरी में पिलल हय। केरो से सुनअ हियो के, उहो पतरकार हय। गड़ियो में बड़का रंग से PRESS लिखले हय।

      चलअ। छोड़अ। जेकरा जे करे के हय, करे देहु। जादे का लिखियो। एतवार के फेर भेजबो। अयसहीं लिख के कुछो न कुछ लिखते रहबो। गाउं, जेला, जवार, एकर, ओकर बात लिखते रहबो। जबववा जरुरे भेजी ह। जे दिन जबाव न देबअ। ओही दिन से चिठी-पतरी सभे बंद,

      तोर ओही विकसवा, 

      पहचान गेलु न?

      NALANDA DARPAN 3

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