हिलसा कोर्ट परिसर में सास-बहू की हिंसक जंग से मचा अफरातफरी

हिलसा (नालंदा दर्पण)। हिलसा अधिवक्ता संघ कैंपस में उस समय हड़कंप मच गया, जब एक सास और बहू के बीच जमकर लात-घूंसे चले। यह घटना न केवल स्थानीय लोगों के लिए चौंकाने वाली थी, बल्कि दहेज जैसी सामाजिक कुप्रथा और पारिवारिक विवादों के गंभीर परिणामों को भी उजागर करती है। इस हिंसक झड़प में बहू लहूलुहान हो गई और मामला शांत कराने के लिए हिलसा थाना पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
बताया जाता है कि हिलसा व्यवहार न्यायालय में एक दहेज उत्पीड़न के मामले की सुनवाई के लिए दोनों पक्ष उपस्थित थे। चंडी थाना क्षेत्र के मेहुदी बिगहा गांव की निवासी नवोदता भारती की शादी तीन साल पहले बेना थाना क्षेत्र के अरौत गांव के सौरभ गांगुली के साथ हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी। शादी के कुछ समय तक सब कुछ ठीक रहा और इस दंपति को एक बेटा रियांश कुमार हुआ, जो अब एक साल का है।
हालांकि, शादी के बाद ससुराल पक्ष ने नवोदता से दहेज की मांग शुरू कर दी। दहेज न मिलने पर ससुराल वालों ने कथित तौर पर नवोदता को घर से निकाल दिया। इसके बाद नवोदता अपने बेटे के साथ मायके में रहने लगी और हिलसा थाने में दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। यह मामला वर्तमान में हिलसा व्यवहार न्यायालय में लंबित है।
बीते सोमवार को सुनवाई के लिए कोर्ट में दोनों पक्षों के लोग मौजूद थे। इसी दौरान अधिवक्ता संघ कैंपस में दोनों परिवारों के बीच पहले तीखी बहस हुई, जो जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सास अनीता देवी और बहू नवोदता भारती के बीच लात-घूंसे चलने लगे। स्थिति तब और बिगड़ गई, जब सास ने बहू की उंगली में दांत गड़ा दिए, जिससे खून बहने लगा। इस घटना ने कोर्ट परिसर में मौजूद लोगों को स्तब्ध कर दिया और वहां भीड़ जमा हो गई।
हिलसा थाना पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में किया। हिंसा के बाद अनीता देवी अपने परिवार के साथ मौके से फरार हो गई। स्थानीय लोगों की मदद से घायल नवोदता को अनुमंडलीय अस्पताल हिलसा ले जाया गया, जहां उसका प्राथमिक उपचार किया गया।
यह घटना एक बार फिर दहेज जैसी कुप्रथा की गंभीरता को सामने लाती है। दहेज के कारण पारिवारिक विवाद और हिंसा की यह कोई पहली घटना नहीं है। नवोदता के मामले में दहेज की मांग ने न केवल उनके वैवाहिक जीवन को प्रभावित किया, बल्कि एक मासूम बच्चे के भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा दिया।
इस घटना ने स्थानीय समुदाय में कई सवाल खड़े किए हैं। क्या दहेज जैसी प्रथाओं को समाप्त करने के लिए और सख्त कानूनी और सामाजिक कदमों की आवश्यकता है? क्या पारिवारिक विवादों को सुलझाने के लिए कोर्ट के बाहर मध्यस्थता जैसे वैकल्पिक तरीकों को बढ़ावा देना चाहिए?
हिलसा थाना पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस के अनुसार इस घटना के संबंध में दोनों पक्षों से पूछताछ की जा रही है और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस बीच नवोदता के परिवार ने दहेज उत्पीड़न के मामले को और गंभीरता से लेने की मांग की है।
यह घटना न केवल एक पारिवारिक विवाद की कहानी है, बल्कि समाज में गहरे बैठे दहेज और हिंसा जैसे मुद्दों की ओर भी इशारा करती है। कोर्ट परिसर जैसी जगह, जहां न्याय की उम्मीद की जाती है, वहां इस तरह की हिंसा का होना चिंताजनक है।









