राजगीर का नौलखा मंदिर जैन धर्म के 20वें तीर्थंकर भगवान श्री मुनि सुब्रतनाथ स्वामी जी महाराज को समर्पित है।
बेमिसाल स्थापत्य कला को प्रदर्शित करता यह मंदिर जैन धर्मावलंबियों और पर्यटकों के आर्कषण व परिभ्रमण का केन्द्र है।
नौलखा मंदिर की आधारशीला 1954 ई. में रखा गया था जो 1961 में यह मंदिर बन कर तैयार हो गया था।
उसी दिन मंदिर में जैन धर्म के 20वें तीर्थंकर श्री मुनी सुब्रत स्वामी के प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा संस्कार किया गया था।
वर्ष 1961 से इस मंदिर के शिखर पर कोलकाता के रामपुरिया परिवार द्वारा ध्वजा चढाया जा रहा है।
श्री मुनी सुब्रत स्वामी की जन्म स्थली राजगीर थी। उनका चार कल्याणक च्यवन, जन्म, दीक्षा एवं केवल ज्ञान राजगीर में ही हुआ था।
श्री मुनी सुब्रत स्वामी की जन्म स्थली राजगीर थी। उनका चार कल्याणक च्यवन, जन्म, दीक्षा एवं केवल ज्ञान राजगीर में ही हुआ था।
इस भव्य नौलखा मंदिर में कहीं भी लौह धातु का उपयोग नहीं किया गया है। इसका निर्माण ईंट, सीमेंट और बलुआ पत्थर से हुआ है।
श्री जैन श्वेतांबर भंडार तीर्थ धर्मशाला प्रांगण में अवस्थित यह भव्य मंदिर मंदिर स्थापत्य कला का एक बेजोड़ नमूना है।
मंदिर में लगाये गये श्वेत श्याम और हरे रंग के संगमरमर पत्थर की पटिया राजस्थान के मकराना और माउंट आबू से लायी गयी है।
धार्मिक दृष्टिकोण से श्री मुनि सुब्रत नाथ स्वामी जी का यह मंदिर जैन धर्मावलंबियों के लिए अपना एक अलग महत्व रखता है।