अगर आप कुदरत के करीब रहने के दीवाने हैं और प्राकृतिक सौंदर्य को निहारना आपका शौक है तो यह जगह आपके लिए ही है।

अगर आप कुदरत के करीब रहने के दीवाने हैं और प्राकृतिक सौंदर्य को निहारना आपका शौक है तो यह जगह आपके लिए ही है।

इसमें इस बात की कहानी निकाली गई है कि कैसे पांडवों के पिता राजा पांडु ने राजगृह पर हमला कर उस स्थान को घुड़शाल में बदल दिया। 

कहा जाता है कि जब उन्होंने इस स्थान को छोड़ा तो एक स्वाल बनाया गया और बाद में बारिश का पानी स्वाले में जमा हो गया और इसी तरह ऐतिहासिक पांडु पोखर अस्तित्व में आया। 

राजगीर के दूसरे प्राचीन स्थलों की ही तरह पांडु पोखर का भी अपना पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है। सैलानियों और स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र है। 

मान्यता है कि पांडव के पिता यानी महाराज पांडु यहां स्नान करने आते थे। इस वजह से इसका नाम पांडु पोखर पड़ गया।  

पांडु पोखर के बीच में आप जो यह ऊंची प्रतिमा देख रहे हैं। यह महाराज पांडु की प्रतिमा है। जो करीब 40 फीट ऊंची है। 

पांडु पोखर के परिसर में ही संगमरमर की एक बुद्ध प्रतिमा है। जो करीब 300 किलो की है। यह प्रतिमा यहां आए लोगों का ध्य़ान जरूर खींचती है। 

यहां आप तमाम प्रकार के फूलों से सजा बगीचा देख सकते हैं। और इसके बीच में शुद्ध हवा का आनंद भी ले सकते हैं।

यह जगह बच्चों को बेहद पसंद आती है। क्योंकि यहां उनके लिए काफी कुछ है। छोटे बच्चों के लिए जहां चिल्ड्रेन प्ले एरिया है। तो दूसरे कई खेल के लिए यहां पर्याप्त सुविधा है। 

कुल मिला कर पांडु पोखर आकर आप न केवल अपने विरासत के पास वक्त बिताते हैं। बल्कि सुकून के कुछ पल बिताकर एक सुनहरी यादों का एक गुच्छा भी लेकर जाते हैं।

यह सैलानियों और स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र है।  

छोटे बच्चों के लिए यहां चिल्ड्रेन प्ले एरिया है। 

प्राकृतिक सौंदर्य को निहारना आपका शौक है तो यह जगह आपके लिए ही है।