जीवन में अगर शांति और खुशी चाहिए, तो मनुष्य को भूतकाल और भविष्य काल में नहीं उलझना चाहिए।
मनुष्य को क्रोध की सजा नहीं मिलती, बल्कि क्रोध से सजा मिलती है।
हजारों लड़ाइयों के बाद भी मनुष्य तब तक नहीं जीत सकता, जब तक वह अपने ऊपर विजय प्राप्त नहीं कर लेता है।
सूर्य, चंद्र और सत्य… ये तीन चीजें कभी नहीं छिप सकती।
मनुष्य को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से अधिक अपनी यात्रा पर ध्यान देना चाहिए। जैसे हजारों शब्दों से एक अच्छा शब्द जो शांति प्रदान करता हो।
बुराई से बुराई खत्म नहीं होती। बुराई को प्रेम से ही खत्म किया जा सकता है।
सत्य की राह पर चलने वाला मनुष्य दो ही गलतियां कर सकता है, या तो पूरा रास्ता तय नहीं करता या फिर शुरुआत ही नहीं करता।
गुस्सा होने का मतलब जलता हुआ कोयला दूसरे पर फेंकना, जो पहले स्वयं के हाथों को ही जलाता है।
एक दीपक से हजारों दीपक जल सकते हैं, फिर भी दीपक की रोशनी कम नहीं होती। इस तरह किसी की बुराई से आपकी अच्छाई कम नहीं हो सकती।
जीवन में खुशियां बांटने से बढ़ती हैं। इसलिए मनुष्य को हमेशा खुश रहना चाहिए और दूसरों को भी खुशियां देनी चाहिए।