बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। कोविड-19 वायरस का खतरा अभी टला नहीं है। तीसरी आटह से सब सहमे हुए हैं। सरकार भी अलर्ट मोड पर है। लेकिन सरकारी गाइडलाइन पालन करवाने की जबावदेही पुलिस-प्रशासन के करींदों पर है, वे खुद धज्जियाँ उड़ाने पर आमादा है।
खबर है कि इन दिनों नालंदा पुलिस शराब धंधेबाजों को जेल भेजने के साथ उन्हें जागरूक कर मुख्य धारा में जोड़ने की मुहिम चला रही है।
उसी मुहिम के तहत शराब कारोबार के लिए कुख्यात दीपनगर थाना क्षेत्र में एसपी हरि प्रसाथ एस के आदेश पर चकदिलावर गांव ग्रामीणों की एक बैठक की गई। यह बैठक सदर डीएसपी डॉ. मो. शिब्ली नोमानी की अगुवाई में थानाध्यक्ष मो. मुश्ताक अहमद ने ने की।
खबरों के मुताबिक इस बैठक में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। पुलिस अफसरों ने बेहतर समाज बनाने का संकल्प लेते हुए शराब सेवन व निर्माण पर रोक के लिए ग्रामीणों की एक कमिटी भी बनाई गई। जो लोगों को शराब सेवन से हानि को लेकर जागरूक करेगी। पुलिस उन्हें पुनर्वास समेत अन्य सरकारी योजना का लाभ दिलाएगी।
इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का कोई पालन नहीं किया गया। खबरों की तस्वीरों में बच्चे, बुढ़े, महिलाएं की काफी भीड़ जुटी है। शोसल डिस्टेंस का पालन तो दूर पुलिस अफसर भी मास्क नहीं पहने हुए हैं।
आखिर छपास रोग से ग्रस्त पुलिस वाले लोगों को क्या संदेश देना चाहते है। इन लोगों पर कोविड-19 गाइडलाइन के उन्हीं प्रावधानों के तहत कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए, जैसा कि आम लोगों के साथ किया जा रहा है?