बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। एक तरफ जहां बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री की घोषणाएं रैयतों में फील गुड पैदा कर रही हैं, वहीं पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा में ही बिहारशरीफ अंचलाधिकारी का निकम्मापन उतना ही फील बैड के रुप में सामने आया है। अंचलाधिकारी कहां रहते हैं, यह किसी को पता ही नहीं चलता है..! न कार्यालय में मिलते हैं और न ही आवास पर।
इसकी छोटी सी मिसाल है। जिला मुख्यालय बिहारशरीफ के कमरुद्दीनगंज मोहल्ला की रैयत इंद्रावती देवी जौजे स्व पत्तिचंद्र प्रसाद सिंह ने मौजा भैंसासुर थाना नंबर-122 में दो केवालों द्वारा कुल 16.25 जमीन खरीदीं। इसका म्युटेशन भी हुआ। इंद्रावती देवी के नाम से जमाबंदी भी कायम हुई। पुराने मूल पंजी (रजिस्टर-2 ) में इस जमाबंदी पर 16.25 डिसमिल जमीन दर्ज है। अचानक बिहारशरीफ के अंचलाधिकारी एवं राजस्व कर्मचारी ने मिल कर इंद्रावती देवी की जमाबंदी से एक डिसमिल जमीन ही घटा दी, जबकि इनकी दादी या परिवार के किसी सदस्य ने जमीन बेची ही नहीं है।
इस अनर्थ और मनमानेपन के विरुद्ध इंद्रावती देवी के पौत्र अरुण कुमार मयंक (वरीय पत्रकार) ने अवैध ढंग से घटाई गई 01 एक डिसमिल जमीन को फिर से उक्त जमाबंदी पर लाने के लिए 20/ 02/ 2024 को परिमार्जन ID No. 20240102004174 तथा पुनः 16/ 08/ 2024 को परिमार्जन प्लस ID No. 2408971139681 पर्याप्त साक्ष्य के साथ अंचल अधिकारी बिहारशरीफ को ऑनलाइन आवेदन दिया। राजस्व कर्मचारी ने अग्रेतर कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन भी दिया, परन्तु अंचल अधिकारी कर्तव्यहीनता में डूबे हुए हैं।
इस बाबत श्री मयंक अपनी फरियाद लेकर डीएम के जनता दरबार में पहुंचे। उन्होंने बताया कि सात माह से लगातार दौड़ रहा हूं। मेरे काम को 75 दिनों में हो जाना था। लेकिन अंचल अधिकारी को अपने कर्तव्यों की तनिक भी परवाह नहीं है। सिर्फ वे ही नहीं, बिहारशरीफ अंचल के सभी रैयत इनसे बुरी तरह तंग-ओ-तबाह हैं।
उन्होंने डीएम से अवैध ढंग से घटाई गई 01 एक डिसमिल जमीन को पुनः अपनी दादी की जमाबंदी पर वापस चढ़वा देने की प्रार्थना की। साथ ही निकम्मे अंचलाधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग भी की। उन्होंने कहा कि उनके जैसे वकील-पत्रकार को अंचलाधिकारी ने दौड़ा-दौड़ा कर थका दिया है। डीएम ने त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
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