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संसाधन की है कमी, इसलिए पत्रकार उत्पीड़क थानेदार पर कार्रवाई करने में असक्षम हैं एसपी !

बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के पुलिस कप्तान नीलेश कुमार के पास संसाधन का घोर अभाव है। वे चाहकर भी किसी थानेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में अक्षम हैं। चाहे वह कितना भी लापरवाह और निकम्मा साबित क्यों न हो। जी हां, ये हम नहीं कहते। ऐसी बात खुद एसपी ने पत्रकारों से कही है।  

खबर है कि हरनौत थाना पुलिस के द्वारा एक पत्रकार के साथ की गई बदसलूकी एवं अमानवीय व्यवहार पर थानेदार की लापरवाही पर सीधी कार्रवाई करने की मांग को लेकर पत्रकार-बुद्धिजीवी कल सुबह 8 बजे से ही आमरण अनशन पर बैठे हैं।

अनशनकारी पत्रकार उत्पीड़न में मूल रुप से शामिल थानेदार को वहां से हटाने की मांग पर डटे हैं। इधर इस मामले को लेकर एसपी के बारे में जिस तरह की बातों सामने आई है, वह कम शर्मसार करने वाली नहीं है।

पीड़ित पत्रकार मुकेश कुमार ने बताया कि उन्हें एसपी नीलेश कुमार ने फोन किया है। एसपी का कहना है कि इस मामले में थानेदार लापरवाह और दोषी है, लेकिन वे उस पर कार्रवाई नहीं कर सकते, क्योंकि उनके पास संसाधन की कमी है। वे सप्ताह-दस दिन बाद कोई एक्शन लेगें।

हालांकि, पीड़ित पत्रकार ने पुलिस को लेकर तरह-तरह की आशंका प्रकट करते हुए दो टूक कहा कि अनशन स्थल से या तो उनकी अर्थी उठेगी या थानेदार का बोरिया विस्तर बंधेगा।

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उधर नेशनल जर्नलिस्ट एशोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश कुमार गुप्ता ने भी कहा कि इस पत्रकार उत्पीड़न मामले में एसपी संसाधनों की कमी बता कर फिलहाल थानेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में असक्षम बता रहे हैं।

इधर, जिले के कुछ पत्रकार-संगठन पुलिस-प्रशासन में अपना प्रभाव जमाने की मंशा में जुट गए हैं। वे पीड़ित पत्रकार से एसपी के मौखिक आश्वासन पर अनशन तोड़ने के लिए तरह-तरह के दबाव बनाने में लगे हैं।

बता दें कि बीते मंगलवार की रात बीच बाजार स्थित श्री राम जानकी पुरानी ठाकुरवाड़ी में तेरह दिवसीय आत्म कल्याण विश्व शांति शिव शक्ति महायज्ञ का आयोजन किया गया है,जो 22 मई से एक जून तक चलेगा।

कार्यक्रम को लेकर आयोजन समिति के द्वारा चंडी मोड़ के समीप मेला का भी आयोजन किया गया है। जिसमें वृन्दावन से आये रास मंडली के द्वारा रासलीला दिखाया जा रहा है। साथ ही कई प्रकार के झूला का भी आयोजन किया गया है।

दैनिक हिंदुस्तान के पीड़ित पत्रकार मुकेश कुमार ने बताया कि मंगलवार के रात आयोजन समिति के सहायता केंद्र पर लगी कुर्सी पर बैठकर मेला पर नजर रखे हुए थे। इसी दौरान मेला ड्यूटी में लगे पांच पुलिसकर्मियों के द्वारा वहाँ आकर जबरन डंडा दिखाते हुए उठने को कहा गया।

पीड़ित पत्रकार के द्वारा परिचय बताने के बावजूद भी पुलिसकर्मियों ने कालर पकड़ते हुए मारपीट करने का कोशिश की। संयोग से मेला आयोजक के द्वारा आकर बीच बचाव करने के बाद पुलिसकर्मी वहाँ से हटे। घटना की जानकारी तुरंत ही थानाध्यक्ष सहित वरीय पुलिस पदाधिकारी को भी दी गई।

बावजूद घटना के दस घंटा बीत जाने के बाद भी पीड़ित का सूझबूझ लेना मुनासिब नहीं समझा। जिससे नाराज पत्रकार मुकेश कुमार थाना के समीप धरना पर बैठ गए। जिसकी जानकारी अन्य पत्रकारों व बुद्धिजीवियों को मिली। वे भी पीड़ित पत्रकार के समर्थन में अनिश्चित कालीन आमरण अनशन पर बैठ गए। जो कि 33 घंटे बाद समाचार प्रेषण तक जारी है।

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