Home गाँव जेवार ‘लुच्ची-लुच्चा’ निकले चंडी सीओ-थानेदार, अनशन तुड़वा नहीं पहुंचे माँ लक्ष्मी की द़र

‘लुच्ची-लुच्चा’ निकले चंडी सीओ-थानेदार, अनशन तुड़वा नहीं पहुंचे माँ लक्ष्मी की द़र

"आश्चर्य है कि एक महिला अकेले असमाजिक तत्वों से जूझ रही है और उनकी सहायता के नाम पर स्थानीय प्रशासन केवल खानापूर्ति कर रही है...

नगरनौसा (नालंदा दर्पण)। चंडी थानान्तर्गत नरसँडा गांव अवस्थित मंदिर परिसर को स्वच्छ एवं अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए अनशन पर बैठी रामजानकी प्रगतिशील संगठन की सचिव अर्पणा बाला को चंडी सीओ कुमारी आंचल और चंडी थानाध्यक्ष ऋतुराज एक साथ समस्या समाधान का भरोसा देकर दगा दे गए।

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बता दें कि चंडी प्रखंड के नरसंडा गांव में मंदिर की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए मन्दिर के भूस्वामी रामजानकी प्रगतिशील सेवा संस्थान की सचिव अर्पणा बाला ने मजदूर लगा कर साफ सफाई का कार्य कर फूल, पौधा लगाने का प्रयास कर रही थी। लेकिन मंदिर परिसर हरा भरा हो गांव के कुछ असामाजिक तत्वों को नागवारा गुजरा परिणाम स्वरूप असामाजिक तत्वों ने मंदिर परिसर में फैले कूड़े कचड़े को साफ सफाई कर रहे मजूदरों को धमकी दी और कहा यहां पर काम करोगे तो जान से हांथ धो दोगे।

इसकी जानकारी देते हुए रामजानकी प्रगतिशील संगठन की सचिव अर्पणा बाला ने जिले के सभी पदाधिकारियों सहित बिहार के सीएम नीतीश कुमार से गुहार लगाते हुए कही थी।कि एक ओर जल जीवन हरियाली को सरकार अग्रसर है वहीं दूसरी ओर असामाजिक तत्व इस कार्य में विघ्न डाल रहे हैं।

असमाजिक तत्वों की धमकी के बाद भूस्वामी अपर्णा बाला शनिवार से अनशन पर बैठ गई थी। उनका कहना था। कि जबतक मंदिर परिसर से अतिक्रमण नहीं हटेगा और परिसर को स्वच्छ नहीं किया जाएगा, तब तक उनका अनशन जारी रहेगा।

रविवार को अनशन की वजह से उनका तबीयत खराब हो गई। मीडिया के माध्यम से चंडी सीओ कुमारी आंचल को जानकारी मिली तो उन्होंने मेडिकल टीम भेजी। उसके अहले सुबह चंडी सीओ कुमारी आंचल के साथ चंडी थानाध्यक्ष ऋतुराज मन्दिर परिसर पर पहुंच अनशनकारी महिला को आश्वासन दिए कि 4 तारीख को वे लोग आएंगे और अपनी देखरेख में मंदिर परिसर को स्वच्छ बनाने का कार्य करेंगे और फूल पौधा भी लगाएंगें। लेकिन कथनी और करनी में फर्क होता है।

अनशनकारी महिला अर्पणा बाला ने बताया कि अपने द्वारा किए गए वादे से चंडी सीओ के साथ चंडी थानाध्यक्ष भी मुकर गए। कोई कार्य नहीं हुआ।

उन्होंने आगे कहा कि अगर यह कार्य नहीं हुआ तो वह फिर से अनशन पर बैठ जाएंगी।

ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि प्रखंड के जिम्मेदार अधिकारियों ने आश्वासन की झूठी घुटी पिला कर एक अनशनकारी महिला का अनशन क्यों तुड़वाया? अगर कार्य को पूरा नहीं करना था तो चंडी सीओ और चंडी थानाध्यक्ष ने अनशनकारी महिला से झूठे वादे क्यों किया?

जबकि यह खबर नालंदा दर्पण पर प्रमुखता से चलाया गया था। जिसके माध्यम से जिले के वरिय पदाधिकारियों को भी पता हुआ था। इसके बाबजूद भी जिले के प्रशासनिक अफसरों ने ढुलमुल रवैया अपनाने में कोई कसर नही छोड़ी।

आश्चर्य है कि एक महिला अकेले असमाजिक तत्वों से जूझ रही है और उनकी सहायता के नाम पर स्थानीय प्रशासन केवल खानापूर्ति कर रही है।

 

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