हिलसा में मंत्री और विधायक को लाठी-डंडा लेकर एक किमी तक भगाया

हिलसा (नालंदा दर्पण)। बिहार के नालंदा जिले के हिलसा थाना क्षेत्र के मलावां गांव में उस समय हड़कंप मच गया, जब ग्रामीणों ने बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री एवं नालंदा विधानसभा के जदयू विधायक श्रवण कुमार और हिलसा विधानसभा के जदयू विधायक कृष्ण मुरारी उर्फ प्रेम मुखिया पर हमला कर दिया। यह घटना तब हुई जब दोनों नेता बीते दिनें हुए एक भीषण सड़क हादसे में मारे गए नौ लोगों के परिजनों से मिलने और सांत्वना देने के लिए गांव पहुंचे थे।

ग्रामीणों का गुस्सा इस कदर भड़क उठा कि दोनों नेताओं को अपनी जान बचाने के लिए करीब एक किलोमीटर तक भागना पड़ा। इस हमले में एक सुरक्षाकर्मी घायल हो गया, जिसे हिलसा अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बता दें कि पिछले शनिवार को पटना के शाहजहांपुर थाना क्षेत्र के सिकिरियावां हाल्ट के पास एक दर्दनाक सड़क हादसे में डंपर और ऑटो की टक्कर में मलावां गांव के नौ लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में जीविका दीदी (बैंक जीविका समूह से जुड़ी महिलाएं) शामिल थीं, जो गंगा स्नान के लिए फतुहा जा रही थीं। इस हादसे के बाद से ही गांव में शोक और आक्रोश का माहौल था।

ग्रामीणों का आरोप है कि हादसे के दिन विधायक ने सड़क जाम हटवाने का आग्रह किया था और मुआवजे का भरोसा दिलाया था, लेकिन पांच दिन बीत जाने के बावजूद कोई ठोस मदद या मुआवजा नहीं मिला।

इसी बीच सुबह करीब 10 बजे मंत्री श्रवण कुमार और विधायक कृष्ण मुरारी मलावां गांव पहुंचे। दोनों नेताओं ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और मुआवजे का आश्वासन दिया। लगभग आधे घंटे तक संवेदना व्यक्त करने के बाद जब वे गांव से बाहर निकलने लगे तो ग्रामीणों ने उनसे और समय रुकने का आग्रह किया। ग्रामीण चाहते थे कि नेता उनकी समस्याओं को विस्तार से सुनें और ठोस कार्रवाई का भरोसा दें।

लेकिन जब मंत्री ने कहा कि वे सभी परिवारों से मिल चुके हैं और उन्हें अगले कार्यक्रम में जाना है तो ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा। कुछ लोगों ने नारेबाजी शुरू की, और देखते ही देखते भीड़ ने लाठी-डंडों और पत्थरों से हमला बोल दिया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मंत्री और विधायक को अपनी जान बचाने के लिए गांव से भागना पड़ा। ब

ताया जाता है कि दोनों नेताओं ने करीब एक किलोमीटर तक दौड़कर और गाड़ियां बदलकर अपनी जान बचाई। इस दौरान एक सुरक्षाकर्मी के सिर पर पत्थर लगने से वह घायल हो गया, और उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया।

ग्रामीणों का कहना है कि हादसे के बाद प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने उनकी सुध नहीं ली। सड़क निर्माण में लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता के कारण यह हादसा हुआ। ग्रामीणों ने सरकार से 25 लाख रुपये मुआवजे और मृतकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है। इसके अलावा लोगों का गुस्सा इस बात पर भी था कि मंत्री और विधायक हादसे के पांच दिन बाद गांव पहुंचे और वह भी केवल औपचारिकता निभाने के लिए।

एक पीड़ित ग्रामीण ने कहा कि हमने विधायक जी के कहने पर सड़क जाम हटाया था, लेकिन हमें कोई मदद नहीं मिली। मंत्री जी आए, लेकिन सिर्फ पांच मिनट रुककर चले गए। क्या हमारी पीड़ा इतनी सस्ती है?

घटना की सूचना मिलते ही हिलसा डीएसपी समेत भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा और स्थिति को नियंत्रित किया। गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया और अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने ग्रामीणों से बातचीत शुरू की है, ताकि तनाव को कम किया जा सके। डीएम और एसपी ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और जांच के आदेश दिए हैं।

बहरहाल घटना के बाद मलावां गांव में तनाव का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे चुप नहीं बैठेंगे। यह घटना बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़े विवाद का रूप ले सकती है, क्योंकि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा की घटना है।

वहीं यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही और जनप्रतिनिधियों के प्रति लोगों के गुस्से को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जनता की समस्याओं को समय पर संबोधित करना कितना जरूरी है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और पीड़ित परिवारों को न्याय और मुआवजा कब तक मिल पाता है।

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