करायपरसुराय (नालंदा दर्पण ब्यूरो)। चिकसौरा थाना क्षेत्र में शराब के काले कारोबार ने एक बार फिर खूनी रंग ले लिया। कमरथू गांव की शांत गलियों में देर शाम गूंजी गोली की आवाज ने पूरे इलाके को दहला दिया। दो गुटों के बीच शराब बेचने के पुराने विवाद ने हिंसक रूप धारण कर लिया, जिसमें मारपीट के साथ-साथ अंधाधुंध फायरिंग हुई। जिसमें चार लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। उनमें शामिल एक महिला की गर्दन से गोली पार होते हुए निकल गई।
यह घटना न केवल एक पारिवारिक झगड़े की याद दिलाती है, बल्कि नालंदा में शराब माफियाओं के बुलंद हौसलों की चेतावनी भी देती है। क्या यह इलाके में शराब तस्करी का नया अध्याय है, या पुरानी दुश्मनी का बदला? आइए, इस खौफनाक घटना की परतें खोलते हैं।
घटना बीते देर शाम की है, जब कमरथू गांव के एक सुनसान कोने में शराब के अवैध धंधे को लेकर दो गुट आमने-सामने हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक विवाद की शुरुआत पिंटू कुमार और चंद्रिका प्रसाद के बीच हुई। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर शराब के क्षेत्रीय वर्चस्व को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए।
बातें बढ़ीं तो लाठियां चलीं और फिर फायरिंग का सिलसिला शुरू हो गया। हवा में गूंजीं गोली की गूंज ने गांववालों को घरों में छिपने पर मजबूर कर दिया। इस खूनी संघर्ष का सबसे दर्दनाक चेहरा बनीं सिरदूल देवी। 40 वर्षीय यह महिला मुद्रिका प्रसाद की पत्नी गोलीबारी के दौरान निशाने पर आ गईं।
डॉक्टरों के अनुसार उनकी गर्दन में लगी गोली सीधे पार हो गई, जिससे जान का खतरा मंडरा रहा है। चिकसौरा थाने से हिलसा अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाए गए चारों जख्मियों में सिरदूल देवी की हालत सबसे नाजुक थी। चिकित्सकों ने उन्हें तुरंत पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) रेफर कर दिया, जहां अब उनकी सर्जरी की तैयारी चल रही है। अन्य जख्मी लोगों में रामजतन प्रसाद के 60 वर्षीय पुत्र चंद्रिका प्रसाद, स्वर्गीय रामकिशन यादव के 55 वर्षीय पुत्र रविंद्र यादव और रविंद्र यादव के 35 वर्षीय पुत्र सिंटू कुमार हैं।
इनमें से चंद्रिका प्रसाद पर ही फायरिंग का मुख्य आरोप है, जबकि सिंटू कुमार को मामूली चोटें आई हैं। अस्पताल में भर्ती जख्मी परिवारजन बताते हैं कि सिरदूल देवी का इलाज जारी है, लेकिन गोली के कारण नसों को नुकसान पहुंचा है।
यह घटना कोई पहली नहीं है। नालंदा जिले में शराब का अवैध कारोबार लंबे समय से सिरदर्द बना हुआ है। खासकर कमरथू जैसे ग्रामीण इलाकों में जहां पुलिस की नजर कम पहुंच पाती है, माफिया खुलेआम दबंगई दिखाते हैं। पिंटू कुमार का नाम इस कारोबार से जुड़ा ही नहीं, बल्कि उसका आपराधिक इतिहास भी डरावना है।
छह साल पहले, इसी शराब विवाद में मकरौता पंचायत के पूर्व सरपंच सुभाष यादव की हत्या के आरोपी के रूप में पिंटू जेल की हवा खा चुका है। चिकसौरा थाने में उसके खिलाफ पहले से दो मामले दर्ज हैं। एक हत्या का तो दूसरा मारपीट का।
सूत्रों के अनुसार पिंटू और उसके गुट ने इस बार भी बिना किसी हिचक के फायरिंग की, जो इलाके में दहशत फैला रही है। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया कि ये लोग कानून से ऊपर समझते हैं खुद को। सरपंच साहब की हत्या के बाद भी कोई सबक नहीं लिया।
पुलिस ने घटना के तुरंत बाद संज्ञान लिया। चिकसौरा थानाध्यक्ष ने दोनों पक्षों से मिले आवेदनों के आधार पर त्वरित कार्रवाई की। एक तरफ रविंद्र यादव उर्फ क्षवरू यादव के पुत्र पिंटू कुमार ने आठ नामजद अभियुक्तों पर आरोप लगाया, वहीं चंद्रिका प्रसाद ने पांच नामजद किए। कुल छह अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिनमें चंदिका यादव के पुत्र उदय कुमार उर्फ टुनी यादव, पिंटू कुमार, राजेंद्र यादव के पुत्र रामप्रवेश यादव, रविंद्र यादव, सिंटू यादव और चंद्रिका प्रसाद शामिल हैं।
थानाध्यक्ष सिद्धू ने कहा कि हमने मौके से खाली कारतूस बरामद किए हैं और फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया है। मामले की गहन जांच चल रही है। शराब माफियाओं के खिलाफ सख्ती बरती जाएगी। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि गिरफ्तारियां तो हुईं, लेकिन असल सरगना अभी भी खुले घूम रहे हैं।
यह घटना नालंदा के लिए एक बड़ा सवाल खड़ी करती है कि शराबबंदी का दावा अब खोखला हो चुका है? बिहार सरकार की शराब नीति के बावजूद अवैध कारोबार फल-फूल रहा है, जो न केवल परिवारों को बर्बाद कर रहा है, बल्कि हिंसा का कारण भी बन रहा है। कमरथू गांव आज चुपचाप जख्मों पर मरहम रख रहा है, लेकिन सवाल वही है कि कब तक ये माफिया इलाके को अपना कब्रिस्तान बनाएंगे?
