नालंदा दर्पण डेस्क। भाद्रपद पूर्णिमा की रात यानी आज रविवार 7 सितंबर 2025 को इस साल का अंतिम खग्रास चंद्रग्रहण होने जा रहा है। यह चंद्रग्रहण न केवल खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी विशेष माना जा रहा है। यह ग्रहण भारत में दृश्य होगा, जिसके कारण इसका सूतक काल भी प्रभावी रहेगा।
यह चंद्रग्रहण रात 9 बजकर 57 मिनट से शुरू होगा और मध्यरात्रि 11 बजकर 41 मिनट तक चरम पर रहेगा। इसका मोक्ष, यानी समाप्ति देर रात 1 बजकर 27 मिनट पर होगी। कुल मिलाकर इस ग्रहण की अवधि लगभग 3 घंटे 28 मिनट की होगी। इस दौरान चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देगा। इसे खगोल विज्ञान में ब्लड मून के नाम से भी जाना जाता है। यह ग्रहण शतभिषा नक्षत्र और कुंभ राशि पर प्रभाव डालेगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले, यानी दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से शुरू हो जाएगा। सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राहु और केतु जैसे पाप ग्रहों के प्रभाव से चंद्रमा पर ग्रहण लगता है। इस दौरान सावधानियां बरतनी चाहिए।
शुभ कार्यों से बचें: सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य, जैसे विवाह, गृह प्रवेश या अन्य मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। सभी मंदिरों के पट इस दौरान बंद रहेंगे।
मंत्र जाप: सूतक काल में अपने इष्ट देव के नाम का जाप करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस समय मंत्र जाप करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए: गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें संतान गोपाल मंत्र या संतान रक्षा मंत्र का जाप करना चाहिए, ताकि गर्भस्थ शिशु पर ग्रहण का कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
ग्रहण के बाद स्नान और दान: ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना अनिवार्य है। स्नान के बाद घर और मंदिर की साफ-सफाई करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान को भोग लगाएं। भोजन में तुलसी के पत्ते या कुश डालने से ग्रहण का दोष समाप्त हो जाता है। इसके बाद दान-पुण्य करने से पाप-दोष मिटते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह चंद्रग्रहण विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव डालेगा। सभी राशियों पर इसका प्रभाव देखा जाएगा।
मेष: लाभ की प्राप्ति होगी।
वृषभ: सुख और समृद्धि में वृद्धि।
मिथुन: मान-सम्मान में कमी का खतरा।
कर्क: आर्थिक कष्ट संभव।
सिंह: शारीरिक या मानसिक पीड़ा।
कन्या: सुख और शांति की प्राप्ति।
तुला: चिंता और तनाव।
वृश्चिक: मानसिक व्यथा।
धनु: श्री और समृद्धि में वृद्धि।
मकर: हानि या क्षति का योग।
कुंभ: अप्रत्याशित घटनाएं या घात।
मीन: नुकसान की संभावना।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व विशेष है। इस दिन स्नान, दान और व्रत करने की परंपरा रही है। चंद्रग्रहण के दौरान ये कार्य और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि ग्रहण के बाद किए गए दान से पुण्य की प्राप्ति होती है। खगोल विज्ञान की दृष्टि से यह ग्रहण पृथ्वी की छाया के कारण चंद्रमा के लाल दिखने का एक अनूठा दृश्य प्रस्तुत करेगा। यह नजारा खगोल प्रेमियों के लिए भी खास होगा।
