बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शरीफ नगर के गढ़पर मोहल्ले में रविवार की दोपहर एक ऐसी घटना घटी, जिसे स्थानीय लोग मां की कृपा और चमत्कार का प्रतीक मान रहे हैं। मोहल्ले के बीचोंबीच स्थित लगभग 400 वर्ष पुराना विशाल नीम का पेड़ अचानक गिर पड़ा, जिसके कारण पास ही बना मां का मंदिर पूरी तरह ध्वस्त हो गया। लेकिन इस हादसे में आश्चर्यजनक रूप से मंदिर के गर्भगृह में स्थापित मां की प्रतिमा को एक खरोंच तक नहीं आई। इस घटना को देखकर श्रद्धालु इसे मां के चमत्कार और नीम वृक्ष के आशीर्वाद का प्रतीक मान रहे हैं।
गढ़पर मोहल्ले में स्थित यह मंदिर और इसके पास खड़ा नीम का पेड़ दोनों ही स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र रहे हैं। हर साल देव दीपावली के अवसर पर श्रद्धालु मां की पूजा करने के साथ-साथ इस नीम वृक्ष की परिक्रमा करते हैं और इसे देवता के रूप में पूजते हैं। यह पेड़ और मंदिर दोनों ही हमारे लिए श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक हैं। हर साल देव दीपावली पर यहां सैकड़ों लोग मां को दीया अर्पित करने और पेड़ की पूजा करने आते हैं।
घटना के समय आसपास के लोग अपने घरों में थे और मंदिर में कोई मौजूद नहीं था। अचानक एक जोरदार आवाज के साथ नीम का पेड़ मंदिर पर गिर पड़ा। मंदिर की छत और दीवारें पूरी तरह ढह गईं, लेकिन गर्भगृह में स्थापित मां की प्रतिमा पूरी तरह सुरक्षित रही। यह देखकर वहां मौजूद लोग दंग रह गए।
अगर यह हादसा शाम या रात में होता, जब देव दीपावली की पूजा के लिए सैकड़ों लोग यहां जमा होते तो बड़ा हादसा हो सकता मोहल्ले के अन्य निवासियों ने भी इसे नीम वृक्ष और मां के आशीर्वाद का परिणाम बताया।
घटना की सूचना मिलते ही आसपास के लोग बड़ी संख्या में मौके पर पहुंचे। सभी इस बात से हैरान थे कि मंदिर के मलबे में दबने के बावजूद मां की प्रतिमा को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। कुछ लोगों ने इसे संयोग माना, लेकिन अधिकांश का मानना है कि यह मां की कृपा और नीम वृक्ष की पवित्रता का प्रमाण है।
बता दें कि गढ़पर मोहल्ले में नीम का पेड़ और मां का मंदिर दोनों ही लंबे समय से आस्था का केंद्र रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पेड़ लगभग 400 साल पुराना था और इसे कई पीढ़ियों से पूजा जाता रहा है। हर साल देव दीपावली पर मां के साथ-साथ इस नीम वृक्ष की भी लोग पूजा करते हैं। यह पेड़ स्थानीय संस्कृति और आस्था का हिस्सा है।
हादसे के बाद भी लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं आई है। मोहल्लेवासियों ने फैसला किया है कि वे मंदिर का पुनर्निर्माण करेंगे और नीम वृक्ष की पूजा की परंपरा को भी जारी रखेंगे। कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि गिरे हुए पेड़ की लकड़ी का उपयोग मंदिर के पुनर्निर्माण में किया जाए, ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे।
बहरहाल यह घटना न केवल गढ़पर मोहल्ले के लिए, बल्कि पूरे बिहारशरीफ के लिए एक चर्चा का विषय बन गई है। लोग इसे मां के चमत्कार और नीम वृक्ष की पवित्रता का प्रतीक मान रहे हैं। इस हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आस्था और विश्वास की शक्ति हर परिस्थिति में लोगों को जोड़े रखती है। जैसे-जैसे देव दीपावली नजदीक आ रही है, गढ़पर मोहल्ले के लोग मां की कृपा और नीम वृक्ष के आशीर्वाद के साथ इस परंपरा को और मजबूती से निभाने की तैयारी में हैं।
