नालंदा दर्पण डेस्क। ‘ये सिलसिला क्या यूं ही चलता रहेगा,सियासत अपनी चालों से कब तक किसानों को छलता रहेगा’।कमोवेश यह कहानी हर किसान की है।एक जमाने में विकास के लिए ‘गरीबी हटाना’ घोषित नारा हुआ करता था। लेकिन अब विकास पथ से किसानों और उनकी भूमि को हटाना कैसे एक अघोषित एजेंडा बन गया है। इसकी तस्वीर ‘विकास पुरुष’ नीतीश कुमार के गृह जिले में देखने को मिल रही है। किसानों के विनाश पर ‘विकास पुरुष’ विकास की पटकथा लिख रहें हैं।
मामला पटना राजगीर पर्यटक पथ से जुड़ा हुआ है।इस सड़क निर्माण के वादाखिलाफी से कई गांव के किसान नाराज चल रहे हैं। वे सभी नरसंड़ा के पूरब से प्रस्तावित निर्माण को लेकर गरम है।
जबकि पहले पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव और नालंदा के तत्कालीन डीएम योगेन्द्र सिंह समेत तमाम पदाधिकारी नरसंड़ा के ग्रामीणों एवं किसानों की नाराज़गी दूर करते हुए रोड मैप गांव के पश्चिम से बनाने की घोषणा पर मुहर लगा दी थी।
कतिपय भूमाफियों के दबावः लेकिन पिछले दो साल से लाकडाउन के दौरान कुछ कतिपय भूमाफियों के दबाव में पटना-राजगीर पर्यटक मार्ग का निर्माण अब नरसंड़ा के पूरब से कराया जा रहा है। जिसे लेकर किसानों में खासी नाराजगी दिख रही है। किसान इसे विभाग की वादाखिलाफी बता रहे हैं।
यह पथ एस एच 78 के 54वें किलोमीटर के सालेपुर से नरसंड़ा,सोराडीह,तेलमर होते हुए करौटा के पास फोरलेन में मिलेगा। अब बराह के शिवशंकर कुमार ने राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है।
उन्होंने तत्कालीन डीएम योगेन्द्र सिंह पर भी भूमाफियों के दबाव में सड़क निर्माण का मार्ग बदलें जाने का गंभीर आरोप भी लगाया है।
क्या है टूरिस्ट वे मामला: पटना से राजगीर के लिए सरकार की ओर से एक अलग सड़क निर्माण किया जा रहा है। जिसे टूरिस्ट वे का नाम दिया गया है।
इस सड़क निर्माण के पीछे सरकार का तर्क है कि पटना से राजगीर की दूरी में कमी आएं और पर्यटकों की यात्रा में कोई व्यवधान नहीं आएं।
वैसे भी राजगीर को अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल का दर्जा मिला हुआ है। तत्कालीन जिलाधिकारी योगेन्द्र सिंह और अमृत लाल मीणा, प्रधान सचिव,पथ निर्माण निगम ने उपरोक्त सड़क का निर्माण नरसंड़ा के पश्चिम से करने का आदेश दिया था।
उपरोक्त दोनों महत्वपूर्ण अधिकारियों ने पैदल चलकर मुआयना कर नरसंडा के पश्चिम से बनाने का फैसला जनता के अनुरोध पर किया था। फिर बाद में पता चला कि इसे नरसण्डा के पूरब से बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे चंडी और हरनौत के कई गांव प्रभावित हो रहा है।
अगर ऐसा हुआ तो सैकड़ों किसानों की सिंचित जमीन सड़क में चली जाएगी और जीवन यापन की समस्या के साथ खाने के भी लाले पड़ जाएंगे।
कहा जा रहा है कि 28 किसान पूरी तरह इस प्रोजेक्ट में भूमिहीन हो जायेंगे। जबकि दर्जन भर गांवों के लगभग 400 किसान प्रभावित होंगे।
265 करोड़ रुपये होंगे खर्च: सालेपुर से मां जगदम्बा स्थान के बीच 19.43 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण पर 265 करोड़ खर्च होने हैं। इसके निर्माण पर 177 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। जबकि, 88 करोड़ से जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। 117.31374 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है।
इस सड़क के बन जाने से पटना से राजगीर की दूरी 21 किलोमीटर कम हो जाएगी। पंजाब की जेके एसोसिएट को 24 माह में सड़क निर्माण की जिम्मेवारी दी गयी है। कैथिर व कचरा के पास पुलों का निर्माण किया जा रहा है।
दो बाईपास और एक फ्लाईओवर: मां जगदम्बा स्थान से सालेपुर के बीच दो स्थानों नरसंडा और उतरा-भेड़िया में बाईपास बनाये जाएंगे।
इसी तरह, नरसंडा में एनएच 431 (पुराना नाम 30ए) को क्रॉस करने के लिए फ्लाईओवर बनाया जाएगा।
विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाला रोड: इस रोड का निर्माण विश्वस्तरीय होगा। इस बीच में 14 बस स्टॉप तो आठ ट्रक ले बाय बनाये जाएंगे।
रोड सेफ्टी के लिए 4,200 किलोमीटर लंबा डब्ल्यू बीम मेटल गार्ड लगाया जाएगा। बाढ़ से बचाव के लिए ऊंचे स्थानों पर रोड सेफ्टी के लिए पत्थर के बोल्डर के साथ ही दो हजार पौधे लगाये जाने हैं।
बराह के शिवशंकर कुमार ने राज्यपाल से लगाई गुहार: प्रस्तावित पटना-राजगीर टूरिस्ट वे निर्माण में नरसंड़ा के किसानों के साथ वादाखिलाफी तथा तत्कालीन डीएम योगेन्द्र सिंह की कार्यशैली को लेकर हरनौत प्रखंड के बराह निवासी शिवशंकर कुमार ने नाराजगी जताते हुए इस मामले की शिकायत राज्यपाल,सीएम,राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर सचिव, पुल निर्माण निगम के प्रधान सचिव तथा निदेशक ए एन सिन्हा समाज अध्ययन को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि राजगीर- पटना टू वे सड़क का निर्माण होना है।जिसका एक खंड करौटा-नरसंड़ा-सालेपुर भी है।
उक्त खंड को नरसंड़ा के पश्चिम से गुजरना था। इसके लिए प्रधान सचिव की मौजूदगी में सहमति भी बन गई थी, लेकिन तत्कालीन डीएम के द्वारा कुछ भूमाफियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इस खंड के चिन्हित भूमि से इतर नरसड़ा के पूरब से सड़क निर्माण कराने की योजना पर मुहर लग गई है।
दो साल पूर्व 19जनवरी,2020 को पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अमृतलाल मीणा के द्वारा नरसंड़ा के पश्चिम से सड़क बनाने का निर्देश दिया था।
क्या है ग्रामीणों का तर्क: प्रस्तावित पटना-राजगीर टूरिस्ट वे मामले को लेकर शिव शंकर कुमार, सुरेंद्र सिंह तथा अनिल कुमार सिंह आदि किसानों का तर्क है कि नरसंड़ा के पश्चिम से सड़क निर्माण होने पर पथ सीधा हो जाता है। इसकी दूरी भी तीन किलोमीटर कम जाती है।
सरकारी जमीन पर्याप्त रहने के कारण अधिग्रहण भी कम करना होगा, मुआवजे की राशि भी बचेगी।यह पथ पर मुहाने नदी में ही एक पुल का निर्माण करना होगा जबकि दूसरे रास्ते से मुहाने और नरहना नदी पर पुल का निर्माण करना पड़ेगा।
ग्रामीणों का मानना है कि पश्चिम से सड़क निर्माण होने पर शेखपुरा, बदरबाली, ढकनियां, महमदपुर, जलालपुर, रैठा, गुंजरचक, कोरूत इत्यादि गांवों को काफी लाभ पहुंचेगा। जबकि यह सब गांव मुहाने नदी के दक्षिण में है, अच्छी सड़क के अभाव में अविकसित है।
इधर कुछ दिन पहले कुछ किसानों ने नालंदा के वर्तमान डीएम शशांक शुभंकर को आवेदन देकर मुआवजा दर में संशोधन की मांग की थी।
किसानों का कहना है कि सरकारी दर के अनुसार इन खंधो में नौ हजार-दस हजार रुपए प्रति डिसमिल कीमत निर्धारित है। जबकि सिर्फ खेती योग्य भूमि का भाव भी कम से कम 50-60 हजार रुपए प्रति डिसमिल है।
सड़क निर्माण को लेकर अभी तक किसानों को नोटिस भी नहीं दिया गया है जबकि भूमि अधिग्रहण का काम शुरू हो चुका है। सालेपुर से तेलमर तक पिलर लगाया जा रहा है।
किसानों की हराम हो चुकी है नींद: बदौरा गांव के बुधन सिंह, विनोद सिंह, रंजन सिंह, टुनटुन सिंह, विभूति भूषण नरसंड़ा के अंजनी कुमार, जगतपुर के इंद्रजीत कुमार सहित अन्य किसानों की जमीन सड़क निर्माण में जा रहीं है। ऐसे में उनसब की रातों की नींद हराम हो चुकी है।
किसान कहते हैं, यदि आपको फांसी पर लटकना तय है,पर तारीख तय नहीं तो आपको नींद आएगी। फिलहाल सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला में किसानों के विनाश पर विकास की इबारत लिखी जाएगी। किसानों की लहलहाती फसल पर पता नहीं, कब सरकारी अमला आकर बुलडोजर चलवा दें।